लखनऊ : (मानवी मीडिया) प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में एक ही परिवार की फर्मों को काम देने का आरोप लंबे समय से लगता चला रहा है। इस मामले में निदेशक चिकित्सा उपचार ने लखनऊ, गोरखपुर, देवीपाटन, मेरठ, कानपुर, अयोध्या, मीरजापुर और बस्ती के अपर निदेशक को पत्र लिखा है। पत्र में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह की शिकायत पर साक्ष्यों सहित आख्या उपलब्ध कराने को कहा गया है। खास बात यह है कि करीब एक साल पहले हुई शिकायत के बाद अब मामले की जांच के लिए पत्र भेज कर आख्या मांगी गई है। आरोप तो यहां तक लगाया जा रहा है कि बस्ती जिले में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इसी मामले में जांच की जा रही थी
लेकिन जांच पूरी होती उससे पहले ही फर्म को भुगतान कर दिया गया। यह आरोप भाजपा के हरीश सिंह ने लगाया है। इतना ही नहीं इसी मामले में पूर्व विधायक ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ की लूट की बात कही है दरअसल, निर्बल समाज उत्थान समिति की तरफ से तीन फर्मो मेसर्स लखनऊ ऑप्टिकल एंड सर्जिकल कंपनी, सरस्वती इंटरनेशनल और कंसोल्ट लैब्रोटरी को एक ही परिवार का बताते हुये चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रमुख सचिव से शिकायत की गई थी। समिति की तरफ से की गई लिखित शिकायत में कई गंभीर आरोप लगाये गये। लिखित शिकायत में कहा गया कि तीनों कंपनियां के लिए अलग से मानक तय किये गये।
जो शासनादेश के विपरीत है। इतना ही नहीं इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के एक बड़े अधिकारी की तरफ से इन फर्मों को काम दिये जाने का दबाव भी चिकित्सालयों में तैनात अधिकारियों पर डाला गया। यह शिकायत बीते साल हुई थी। इसी मामले में राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी शिकायती पत्र भेज कर जांच कमेटी बनाने व दोषी फर्म और व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा गया था पूर्व विधायक विजय कुमार राजभर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की थी। जिसमें कहा गया था कि चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ की लूट हो रही है।
सीएम को लिखे पत्र में कहा गया था कि यूपी में आपकी तरफ से सरकार भ्रष्टाचार मुक्त चलाई जा रही है, लेकिन कुछ अधिकारी और एक उपकरण व्यवसाई मिलकर एक सिंडीकेट चला रहे हैं। जनता का प्रतिवर्ष 100 करोंड़ रूपये लूटा जा रहा है। जिले स्तर पर शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यह लूट साल 2010 से जारी है। 3 फर्मों के निविदा को पास किया जाता है। उन्होंने इस मामले में जांच कराने और कार्रवाई की मांग की थी। वहीं इस मामले में सांसद मुकेश राजपूत की तरफ से भी एक शिकायती पत्र प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को भेजा गया था। जिसमें कहा गया था कि तत्कालीन महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य के साथ मिलकर एक सिंडिकेट का काम कर रहा है। जिसके जरिये सरकार की छवि धूमिल की जा रही है। इतना ही नहीं सरकारी धन की लूट की जा रही है। मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग की गई थी।