इस अवसर पर पूर्व राज्यपाल का अभिनंदन करते हुए उन्होंने नाईक को बेबाक नेता, कर्मठ समाजसेवी बताया तथा वरिष्ठ राजनीतिक कार्यकर्ता की भूमिका हेतु उनकी सराहना की। कुष्ठ रोगियों के उद्धार हेतु किए जाने वाले कार्य तथा समर्पित समाज सेवक के रूप में उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि श्री नाईक का जीवन ‘‘चरैवेति-चरैवेति’’ का उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि युवावस्था में एक्सीडेंट व कैंसर की समस्या के बावजूद जिंदगी से हार न मानते हुए नाईक ने एक सफल केंद्रीय मंत्री, विधायक व सांसद के रूप में अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन किया।
राज्यपाल ने कहा कि संसद में जन गण मन, वंदे मातरम गायन, सांसद निधि की शुरुआत नाईक के प्रयासों का ही प्रतिफल है। उनका जीवन लोगों के लिए एक संदेश है। उन्होंने उनकी पुस्तक “चरैवेति-चरैवेति“ का विभिन्न भारतीय भाषाओं व विदेशी भाषाओं सहित ब्रेल लिपि में अनुवाद किए जाने की भी प्रशंसा की तथा उनके राजनीतिक व संवैधानिक सफर की प्रशंसा करते हुए कहा कि नाईक में सांगठनिक व नेतृत्वकर्ता की क्षमता है। नाईक द्वारा प्रदेश के राज्यपाल के रूप में उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस तथा एक जिला एक उत्पाद की अवधारणा की शुरुआत हेतु राज्यपाल जी ने सराहना की। उन्होंने उनके मृदु व स्नेहिल स्वभाव की भी प्रशंसा की।
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने इस अवसर पर उपस्थित गणमान्यों को संबोधित करते हुए कहा कि मेरी सामाजिक, राजनीतिक यात्रा में राजभवन की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पद्मभूषण सम्मान हेतु मनोनीत किये जाने में उत्तर प्रदेश राज्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। नाईक ने राजभवन द्वारा सम्मानित किये जाने पर आभार प्रकट करते हुए कहा कि वर्तमान राज्यपाल द्वारा किसी पूर्व राज्यपाल के सम्मान का यह पहला अवसर है। इस क्रम में पूर्व राज्यपाल ने अपने कार्यानुभवों को साझा किया। उन्होंने केंद्र सरकार में बतौर पेट्रोलियम मंत्री 3.50 करोड़ परिवारों को घरेलू गैस का आवंटन, वीर शहीद की माताओं व पत्नियों को पेट्रोल पंप तथा गैस एजेंसी का आवंटन, लखनऊ कमांड सेंटर में परमवीर चक्र विजेताओं की स्मृति में स्मृतिका की स्थापना, कुष्ठ पीड़ितों के उत्थान व पुनर्वास का कार्य, उनके निर्वाह भत्ता हेतु प्रयास, बॉम्बे, इलाहाबाद, फैजाबाद का नामकरण तथा बतौर राज्यपाल उत्तर प्रदेश संवैधानिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के बारे में बताया। उन्हांने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को राजनीतिक जीवन का आदर्श बताते हुए कहा कि उनका लक्ष्य समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की सेवा व उत्थान है। उन्होंने कहा कि लोगों का उनके प्रति स्नेह उनकी पूंजी है।पूर्व राज्यपाल ने “चरैवेति- चरैवेति“ के सिद्धांत को जीवन का मूल मंत्र बताया तथा विभिन्न भाषाओं में इस पुस्तक के अनुवाद तथा 16 संस्करण में प्रसार की भी चर्चा की। उन्होंने “चरैवेति- चरैवेति“ का जन्म स्थान राजभवन उत्तर प्रदेश को बताया। उन्होंने राजभवन द्वारा उन्हें सम्मानित किए जाने पर आभार जताते हुए उत्तर प्रदेश को देश के सर्वोत्तम प्रदेश बनने की कामना भी की।इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव राज्यपाल डॉ0 सुधीर महादेव बोबडे ने पूर्व राज्यपाल का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए कहा कि इस सम्मान से राजभवन परिवार को गर्व की अनुभूति हो रही है। उन्होंने उनकी अनूठी कार्यशैली की प्रशंसा की तथा कहा कि नाईक की राजनीतिक एवं सामाजिक जीवन में सक्रियता, कुष्ठ पीड़ितों के सामाजिक सशक्तिकरण तथा सफल लेखक की भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जन सेवा के लिए नाईक का समर्पण तथा कठोर परिश्रम प्रेरणा एवं मार्गदर्शन देने वाला है।