नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) उच्चतम न्यायालय उस ट्रांसजेंडर शिक्षिका की याचिका पर सुनवाई करने के लिए मंगलवार को सहमत हो गया, जिसकी सेवा गुजरात और उत्तर प्रदेश के अगल-अलग निजी स्कूलों ने उसकी लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद समाप्त कर दी थी।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ट्रांसजेंडर महिला की याचिका पर केंद्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी करते हुए कहा, ‘‘हम देखेंगे कि इस मामले में हम क्या कर सकते हैं।’’
इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के जामनगर स्थित स्कूल के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के खीरी स्थित एक अन्य निजी स्कूल के अध्यक्ष से भी जवाब मांगा है। पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की शिकायत यह है कि उसकी लैंगिक पहचान उजागर होने के बाद उत्तर प्रदेश और गुजरात के स्कूलों में उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। याचिकाकर्ता का कहना है कि वह दो अलग-अलग उच्च न्यायालयों में अपनी शिकायत के लिए नहीं जा सकतीं।’’
पीठ चार सप्ताह बाद याचिका पर सुनवाई करेगी। ट्रांसजेंडर महिला की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश के एक स्कूल की ओर से उनकी मुवक्किल को नियुक्ति पत्र दिया गया था और हटाए जाने से पहले उन्होंने छह दिन तक सेवा भी दी थी।