लखनऊ : (मानवी मीडिया) सौ रुपये के स्टांप पर करोड़ों की संपत्ति को बेचने के लिए पावर ऑफ अटार्नी का खेल खत्म हो गया है। इस पर रोक लगते ही प्रदेश में वर्ष 2022 के सापेक्ष वर्ष 2023 में 72 हजार पावर ऑफ अटार्नी घट गईं स्टांप और पंजीयन विभाग के फैसले से खुलासा हुआ कि किसानों को फंसाकर जमीन बेचने का धंधा यूपी के सभी जिलों के अलावा सबसे ज्यादा गाजियाबाद और नोएडा में चल रहा था, जो धड़ाम हो गया। अकेले इन दोनों शहरों में पिछले साल 70,289 पावर ऑफ अटार्नी की गई थीं, जो इस साल केवल 872 रह गईं।
दरअसल, पारिवारिक झगड़े खत्म करने के लिए केवल पांच हजार रुपये में संपत्ति के दान का असर इतना जबर्दस्त हुआ है कि 5.30 लाख जमीनें दान कर दी गईं। खास बात ये है कि पहली बार बड़ी संख्या में बेटी-बहू-मां-पत्नी के नाम मिल्कियत की गई है। इससे करीब एक हजार करोड़ रुपये का राजस्व भी मिलेगा पॉवर आफ अटार्नी के नाम पर भोले-भाले किसानों को जमकर ठगा जा रहा था।
किसान को जमीन की कीमत देकर बिल्डर सौ रुपये के स्टांप पर एग्रीमेंट कर जमीन बेचने का अधिकार ले लेते थे। फिर जमीन को डेवलप कर उसे भूखंडों में बांट कर किसान से रजिस्ट्री करवाते थे। इसके एवज में बिल्डर चार गुना कमाते थे लेकिन रजिस्ट्री किसान और खरीदार के बीच कराने के कारण इनकम टैक्स नोटिस किसानों के पास आ रहे थे। ऐसे में करीब डेढ़ लाख किसान बिना कमाए ही इनकम टैक्स के दायरे में आ गए।