लखनऊ (मानवी मीडिया)श्रीलंका की अर्थव्यवस्था स्थिर करने के लिए भारत अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत लगातार मदद कर रहा है। भारत एक ओर जहां विभिन्न परियोजनाओं के जरिये अपने पड़ोसी देश को आर्थिक संकट से उबारने में सहायक बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर दिग्गज भारतीय कंपनियां प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के साथ देश में कारोबार को बढ़ाते हुए रोजगार के नए अवसर पैदा कर रही हैं।
कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में काम करते हुए भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने इस सप्ताह कई महत्वपूर्ण बैठकें की। उच्चायोग ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा उच्चायुक्त संतोष झा ने शिक्षा मंत्री एवं सदन के नेता डॉ. सुशील प्रेमजयंता से मुलाकात की। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में भारत-श्रीलंका के बीच घनिष्ठ सहयोग और उच्च शिक्षा संस्थानों एवं श्रीलंकाई विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की।
इससे पहले उच्चायुक्त ने श्रीलंका में कार्यरत ऑटोमोबाइल क्षेत्र की अग्रणी भारतीय कंपनियों अशोक लीलैंड, महिंद्रा, सीएट टायर्स और टीवीएस मोटर कंपनी के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस दौरान प्रतिनिधियों ने उन्हें श्रीलंका में अपने निवेश और भविष्य की विस्तारित योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
ऑटोमोबाइल कंपनियों के प्रतिनिधियों से मिलने से पहले झा ने सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय कंपनियों इरकॉन इंटरनेशनल और बीईएल के अलावा निजी क्षेत्र की दिग्गज अल्ट्राटेक सीमेंट और शापूरजी पालोनजी के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने श्रीलंका में बुनियादी ढांचे के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका और श्रीलंका के आर्थिक सुधार में योगदान पर चर्चा की।
भारतीय उच्चायुक्त ने हाल ही में श्रीलंका के सेंट्रल बैंक के गवर्नर के साथ हुई बैठक में श्रीलंका में यूपीआई भुगतान प्रणाली की शीघ्र शुरुआत, भारतीय रुपये में ट्रेड सैटलमेंट में वृद्धि और श्रीलंका की ऋण पुनर्गठन प्रक्रिया में भारत के समर्थन पर प्रतिबद्धता जताई है।
(रिपोर्ट. शाश्वत तिवारी)