लखनऊ (मानवी मीडिया) लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग की तरफ से शनिवार दिनांक 02/12/2023 को "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उच्च शिक्षा में परिवर्तन" विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो० दिनेश कुमार द्वारा प्रो० निधि बाला पू० विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष शिक्षा विभागर लखनऊ विश्वविद्यालय का स्वागत किया गया।
व्याख्यान के आरंभ में प्रो० निधि बाला ने बताया कि किस प्रकार कोठारी कमीशन से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की सभी नीतियों ने उच्च शिक्षा में परिवर्तन की नींव रखी। तदोपरांत उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उच्च शिक्षा से संबंधित बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुणात्मक आंकलन के बिना मूल्यांकन समग्र नहीं हो सकता है। मल्टीपल एंट्री मल्टीपल एग्जिट राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का एक परिवर्तनकारी और अभिनव कदम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा प्रदान की गई शिक्षा प्रणाली में नम्यता बहुत महत्वपूर्ण पहलू है। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आंशिक शैक्षिक उपलब्धि को स्वीकार करता है और नम्यता की ओर उठाया गया एक और कदम है। बहु- अनुशासनात्मकता पर उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है।
प्रो० निधि बाला ने स्मरण कराया कि प्रौद्योगिकी एक अच्छी गुलाम लेकिन एक बुरी मालिक है। उन्होंने समावेशन और मूल्यवर्धन के लिए दूरस्थ शिक्षा सेवाकालीन और सेवापूर्व शिक्षा की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम छात्रों की रुचि के विभिन्न क्षेत्रों में खोज और अध्ययन करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विभिन्न शासी/नियामक निकाय का एकीकरण एनईपी 2020 का उद्देश्य रहा है और इसके लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) की स्थापना का प्रस्ताव है।उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी विभिन्न प्रकार की सभी परीक्षाओं के संचालन के लिए एक विशेष निकाय है जो शैक्षणिक संस्थानों के बोझ को कम करती है। उन्होंने स्रातक से डॉक्टरेट पाठ्यक्रमों में छात्रों के सुचारु परिवर्तन की प्रासंगिकता का भी उल्लेख किया। अनुसंधान और अनुसंधान अनुदान की गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से राष्ट्रीय अनुसंधान मंच की स्थापना की प्रासंगिकता भी समझाई। अंत में उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 ने शिक्षा प्रणाली के कायाकल्प के प्रयासों को सुव्यवस्थित किया है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि एनईपी छात्र केंद्रित हैए लेकिन कार्यान्वयन के संबंध में सीमांकित है जिस पर हमें कार्य करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के अंत में प्रो० मुनेश कुमार ने मुख्य वक्ता को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में प्रो० रीना अग्रवाल सहित अन्य संकाय सदस्य शोधार्थी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।