उत्तर प्रदेश : (मानवी मीडिया) एलएलबी की परीक्षा के दौरान उत्तर प्रदेश में एक पूर्व आईपीएस अफसर को नकल करते उड़ाका दल ने रंगे हाथ पकड़ लिया. पूर्व आईपीएस अफसर राजेश कुमार ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में एलएलबी की परीक्षा देने के लिए शामिल हुए थे. परीक्षा हॉल में जांच के दौरान उड़ाका दल ने पूर्व आईपीएस को नकल करते पकड़ लिया. जानकारी के मुताबिक बुधवार को भी पूर्व आईपीएस अफसर को परीक्षा देने के दौरान नकल करते पकड़ा गया था,
लेकिन बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह मामला दबा दिया. लगातार दूसरे दिन पकड़े जाने पर अब ये मामला सामने आ गया है. नकल के आरोप में पकड़े जाने वाले एलएलबी के परीक्षार्थी राजेश कुमार भारतीय पुलिस सेवा से सेवानिवृत्त हैं. ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में इसी वर्ष से एलएलबी का पाठयक्रम शुरू हुआ था. तीन वर्ष के इस पाठयक्रम में रिटायर्ड आईपीएस अफसर राजेश कुमार ने प्रवेश लिया है. परीक्षा नियंत्रक भावना मिश्रा ने बताया कि परीक्षार्थी पूर्व आईपीएस राजेश कुमार को नकल करते पकड़ा गया. इसके बाद टीम ने उनकी कॉपी सील कर दी और उन्हें दूसरी कॉपी दे दी गई थी. पूर्व आईपीएस पर विश्वविद्यालय प्रबंधन नकल के नियमों के तहत कार्रवाई करने की बात कह रहा है.
बोर्ड परीक्षा के लिए 20 विद्यालयों में बने केंद्र होंगे रद्द माध्यमिक शिक्षा परिषद की जिला बोर्ड समिति ने राजधानी के करीब 20 विद्यालयों में बने परीक्षा केंद्रों को रद्द करने के लिए बोर्ड परिषद को प्रस्ताव भेजा है. इनमें करीब 10 राजकीय हाईस्कूल कॉलेज भी शामिल हैं, जिन्हें स्थापित होने के पांच साल बाद भी परीक्षा केंद्र के रूप में मान्यता नहीं मिल सकी है. बोर्ड परीक्षा केंद्र के लिए 136 विद्यालयों की प्रस्तावित सूची जारी की गई थी. केंद्रों की फिर से जांच के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है. समिति में एडीएम प्रशासन, एसडीएम, डीआईओएस व अन्य प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं. समिति ने अलग-अलग क्षेत्रों के परीक्षा केंद्रों की जांच की, 20 से अधिक विद्यालयों में बोर्ड के मानकों का अनुपालन होना नहीं पाया गया है.समिति के मुताबिक, जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र से बाहर किया गया है, वहां सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था नहीं है. बच्चों के बैठने के लिए की सीट तक नहीं हैं. खिड़की और दरवाजों की स्थिति खराब है. मुख्य सड़क से ज्यादा दूरी पर स्कूल होने की वजह से परीक्षा केंद्र के लिए इनका चयन नहीं किया गया है राजकीय विद्यालयों में भी बोर्ड के मानक के अनुसार कम से कम 250 छात्रों के बैठने की सुविधा होनी चाहिए लेकिन यहां 150 से 200 छात्रों की ही क्षमता है. कई नए विद्यालय भी शामिल हैं, जिन्हें परीक्षा केंद्र के लिए चयनित किया था लेकिन अब मानक पर खरा न उतरने की वजह से परीक्षा केंद्र रद्द किया जा रहा है.