(मानवी मीडिया) : चीन की नीति रही है, कमजोर देशों को कर्ज दो, और स्थिति बिगड़ने पर उस देश पर कब्जा करने के प्रयास करो. इस नीति का नतीजा भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका आर्थिक त्रासदी के तौर भुगत चुका है. इस नीति से दुनिया के कई देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा चुके चीन को यूरोपीय देश से झटका लगा है. ये देश पीएम मोदी की दोस्त जॉर्जिया मेलोनी का है. जी हां हम इटली के बारे में बात कर रहे हैं. इटली औपचारिक रूप से चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) से बाहर हो गया है. मेलोनी की सरकार के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए इस कदम को बड़ा झटका माना जा रहा है.
बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस मेगा बुनियादी ढांचे वाली अपनी परियोजना को कोरोना काल के बाद फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें हर मोर्चे पर झटका ही लग रहा है. इटली ने चार साल पहले BRI में शामिल होने के लिए चीन के साथ एक समझौता किया था. इटली ऐसा करने वाला एकमात्र G7 देश बना था. अब इटेलियन अखबार कोरिएरे डेला सेरा द्वारा पब्लिश एक रिपोर्ट में लिखा है कि इटली ने BRI से निकलने के अपने लंबे समय से प्रतीक्षित फैसले के बारे में बीजिंग को तीन दिन पहले सूचित कर दिया है.