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Thursday, December 7, 2023

पीएम मोदी ने संविधान के प्रति चेतना जगाने का किया काम : पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद


गुजरात 
(मानवी मीडिया): प्रधानमंत्री के संविधान से जुड़े भाषणों का संकलन है। इसमें पहला भाषण 24 जनवरी, 2010 का है, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने संविधान के 60 वर्ष पूरे होने पर 'संविधान गौरव यात्रा' निकाली थी और उस यात्रा के समापन पर यह भाषण गुजरात के सुरेंद्रनगर में दिया था। संविधान पर संभवतः यह उनका पहला भाषण था। इससे पता चलता है कि वह संविधान को लेकर प्रारंभ से कितने संवेदनशील और जागरूक रहे हैं। 

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने 'नए भारत का सामवेद' के लोकार्पण का अवसर देने के लिए आईजीएनसीए और प्रभात प्रकाशन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पुस्तक में संकलित भाषण हमारे संविधान के सार को सहजता, सरलता से प्रस्तुत करते हैं। कोविन्द ने कहा कि वर्तमान में संविधान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की संविधान को लेकर यह दृष्टि थी कि संविधान लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने को संविधान की मूल भावनाओं के अनुरूप बताया।

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान एक जागृत संविधान है, यह कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका सहित सभी नागरिकों का सही दिशा में मार्गदर्शन करता है। उन्होंने संविधान के बारे में जनता में चेतना जगाने का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को दिया। विशिष्ट अतिथि श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि पुस्तक का नाम 'नए भारत का सामवेद' ही भारतीय संविधान के बारे में बहुत कुछ कह देता है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो लक्ष्य है, उसके लिए हम सब संकल्पित हैं और इस लक्ष्य के प्रणेता कोई और नहीं, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री हैं।

उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान को जमीन पर उतारने का काम किया है। लेखी ने कहा, बाबासाहेब आम्बेडकर संविधान की आत्मा थे और आजादी के बाद से संविधान की आत्मा का अनादर किया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बाबासाहेब जीवित थे, तो उस समय की सरकार उनके साथ क्या किया? बाबासाहेब बराबरी की बात करते थे। महिलाओं को बराबरी का अधिकार, वंचितों को अधिकार, सबको समता का अधिकार देने का कार्य बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने लड़-झगड़ कर किया। आजादी के 67 साल बाद संविधान की आत्मा बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर को सम्मान देने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। 

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