लखनऊ (मानवी मीडिया): उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व वादों और चकबंदी के लंबित और नये मामलों के जल्द निपटारे को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। इसके तहत योगी सरकार ने राज्य स्तरीय अधिकारियों द्वारा 15 से 25 दिसंबर तक विशेष अभियान चलाकर मामलों के निपटारों की समीक्षा करने के निर्देश दिये हैं। समीक्षा के दौरान खराब प्रदर्शन करने वाले कमिश्नर, डीएम, एसडीएम और तहसीलदारों से जवाब-तलब किया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव राजस्व सुधीर गर्ग ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विभिन्न राजस्व/चकबंदी न्यायालयों में लम्बित एवं नये मामलों के त्वरित और समयबद्ध निस्तारण के लिए समीक्षा बैठक करने के निर्देश दिये थे। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप राज्य स्तरीय अधिकारी 15 से 25 दिसंबर तक दस दिवसीय विशेष अभियान के तहत प्रदेश के सभी मंडलों में जाकर समीक्षा करेंगे। इसके तहत विंध्याचल धाम और गोरखपुर मंडल की समीक्षा खुद उनके स्तर से की जाएगी जबकि लखनऊ मंडल की समीक्षा राजस्व सचिव जीएस नवीन करेंगे।
वहीं कानपुर, झांसी मंडल की समीक्षा विशेष सचिव राजस्व अनुराग पटेल और बरेली, देवीपाटन मंडल की समीक्षा विशेष सचिव राजस्व राम केवल करेंगे। इसी तरह वाराणसी, प्रयागराज एवं आजमगढ़ मंडल की समीक्षा राजस्व परिषद के अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त टीके शिबु और आगरा, अलीगढ़ मंडल की समीक्षा राजस्व परिषद के अपर भूमि व्यवस्था आयुक्त अनिल कुमार यादव करेंगे। इसके अलावा मुरादाबाद, सहारनपुर, मेरठ मंडल की समीक्षा राजस्व परिषद के उप भूमि व्यवस्था आयुक्त जेबी यादव और अयोध्या, बस्ती मंडल की समीक्षा राजस्व परिषद के उप भूमि व्यवस्था आयुक्त भीष्म लाल वर्मा करेंगे।
मालूम हो कि चित्रकूट मंडल की समीक्षा पहले ही हो चुकी है। समीक्षा के दौरान खराब प्रदर्शन वाले पांच कमिश्नर और पांच डीएम से जवाब तलब करने के साथ शासन को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इसके साथ ही खराब प्रदर्शन वाले दस एसडीएम और दस तहसीलदार को स्पष्टीकरण नोटिस थमाया जाएगा। राजस्व सचिव जीएस नवीन ने बताया कि नोटिस के बाद भी कार्य में सुधार न होने पर मुख्यमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट सौंपी जाएगी ताकि लापरवाही पर संबंधित के खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जा सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से पहले ही इस बात के स्पष्ट निर्देश दिये जा चुके हैं कि तहसील दिवसों की समीक्षा जिलाधिकारी स्वयं करेंगे। वहीं जिलों के राजस्व मामलों की समीक्षा मंडलायुक्त स्तर पर सुनिश्चित की जाए। इसमें किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।