चंडीगढ़ (मानवी मीडिया)-पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एससी एसटी एक्ट के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि चारदीवारी की भीतर किसी व्यक्ति का अपमान या धमकी एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं है। जब तक किसी का अपमान मंशा के साथ सार्वजनिक स्थान पर नहीं किया जाता तब तक यह अपराध नहीं है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस मामले में अग्रिम जमानत दे दी।
याची ने लुधियाना कोर्ट के सामने हत्या और एससी एसटी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत जातिवादी टिप्पणी पारित करने के अपराध में अग्रिम जमानत की मांग की थी जिसे खारिज कर दिया गया था। यह आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता ने बैंक्वेट हाल खरीदने के लिए सेवक सिंह को औकात बताकर जातिवादी टिप्पणी की। उसके बाद अपीलकर्ता के पति ने अपनी कार से सेवक सिंह को मारकर गंभीर चोटें पहुंचाईं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता के वकील की ओर से दलील दी गई कि एफआईआर में उनकी कोई भूमिका नहीं है। पूरे आरोप उसके पति पर हैं, जिन्हें पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। एक्ट का अवलोकन करते हुए हाईकोर्ट कहा कि किसी व्यक्ति को दंड का पात्र बनाने के लिए घटना के समय सार्वजनिक स्थान या सार्वजनिक दृश्य के भीतर होनी जरूरी है। इस मामले में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जो साबित करे कि याची को मृतक सेवक सिंह की जाति का पता था। साथ ही याची ने किसी विशेष जाति का नाम नहीं लिया जिससे अपमान का इरादा साबित हो। हाईकोर्ट ने हितेश वर्मा बनाम उत्तराखंड सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते दिया।