लखनऊ( मानवी मीडिया) प्रार्थी को सूचना जानकारी मिली कि दिनांक 08.11.2023 को डॉ अभिषेकशन व विवेक वंश व चंदन रावत व विश्राम रावत, डॉ० सुशील बाइव व यादव व 3-4 य अज्ञात लोगों के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बेईमानी की नियति से घाटा संख्या-32, रकबा 1,258080 को शक्र तहसील - लखनऊ में बैनामा कराने जा रहे हैं, जो कि प्रार्थी का विश्राम रावत ने पहले ही दिनांक- 15.11.2019 को एक विक्रय अनुबन्ध पत्र बिना कब्जा निष्पादित कर चुके हैं।
अतः जब प्रार्थी अपने ड्राइवर अमन रावत के साथ सदर तहसील - लखनऊ पर पहुंचा तो पहले से मौजूद भू-माफिया, डॉ० अभिषेक वंशल व विवेक वंशल व चंदन रावत व विश्राम रावत, डॉ. सुशील यादव व कौशल यादव व 3-4 अन्य अज्ञात लोगों को जब प्रार्थी ने रोका कि प्रार्थी की एक रजिस्टर्ड एग्रीमेन्ट 15.11.2019 को विश्राम द्वारा किया जा चुका है, आप जोन जलत कर रहे हो यह ठीक नहीं है, तभी उपरोक्त लोगों ने जातिसूचक प्रार्थी व प्रार्थी के ड्राईवर अमन रावत को बन्दी अन्दी गालियां देते हुए जान से मारने की नियत! से हमला करते हुए लात घूंसों से मारने-पीटने लगे, कहने लगे कि अपना रजिस्टर्ड एग्रीमेन्ट कैन्सिल कराओ नही तो तुमको और तुम्हारे परिवार को जान से मार देंगे और फर्जी हरिजन एक्ट मुकदमें में जैसे पहले फंसाया था, वैसे ही तुमको और तुम्हारे परिवार व रिश्तेदारों को फर्जी फंसा देंगे और मेरा कोई कुछ नहीं बिना सकता है, मेरी पहुंच बहुत ऊपर तक है. और जमीन तो हम हर हाल में लेकर ही रहेंगे। इसके लिए चाहे हमें कुछ भी करना पड़ेकका
प्रार्थी ने विश्राम रावत पुत्र स्व0 राम लाल से घाटा संख्या-32 रकबा 1. 25800 स्थित ग्राम वंशीनदी, परखना, तहसील व जिला- लखनऊ में स्थित है, जिसको प्रार्थी ने दिनांक- 15.11.2019 को क्रय किया था, जिसका विश्राम रावत द्वारा उपनिबन्धक सदर द्वितीय लखनऊ के यहां एक विक्रय अनुबन्ध पत्र बिना कब्जा हुआ था, जिसका आवेदन संख्या-201900821074189, वही संख्या 01, जिल्द संख्या-23113 के पृष्ठ 335-368 तक क्रमांक- 17732 पर दिनांक- 15.11.2019 को रजिस्ट्रीकृत किया गया था. जिस पर पेज नं0-6-7 पर पैरा नं0-2 पर स्पष्ट लिखा गया था कि यह कि मियाद तकमील बैनामा प्रथम पक्ष / विश्राम रावत द्वारा बाद मिलने हरिजन परमीशन व समस्त कानून कार्यवाहियां पूर्ण हो जाने की तारीख से अन्दर मुदत 18 माह तक है व पैरा नं0-3 पर वह
स्पष्ट लिखा है कि हरिजन परमीशन विक्रेता विश्राम रावत को लेना हैस, परन्तु प्रार्थी के बार-बार कहने के बावजूद भी हरिजन परमीशन क्रेता/प्रार्थी के नाम से न लेकर कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर डॉ अभिषेक वंशल व विवेक बंशल व चंदन रावत व विश्राम रावत, डॉ सुशील यादव व कौशल यादव व 3-4 अन्य अज्ञात लोगों के साथ कूट रचना एवं दस्तावेज छिपाते हुए मा० जनपद लखनऊ, न्यायालय, अपर जिलाधिकारी प्रशासन के यहां अधिनियम धारा उ०प्र० राजस्व संहिता 2006, 98(1) वाद संख्या-4417/2022 कम्प्यूटरीकृत याद संख्या-डी-202210460004417 है, जो कि दिनांक 05.09.2022 को हरिजन परमीशन डॉ० अभिषेक बंशन एवं सोनिया वंशल के नाम प्राप्त कर लिया था।
उसके बाद प्रार्थी को जानकारी मिलने पर डॉ० अभिषेक बंशल एवं सोनिया एवं विश्राम रावत को रजिस्ट्रीकृत नोटिस भेजा गया, पर अन्दर मियाद 30 दिन के भीतर कोई जवाब न मिलने पर प्रार्थी परेशान होकर माननीय न्यायालय श्रीमान् सिविल जज लखनऊ के न्यायालय में वाद संख्या-2157/2022 वास्ते स्थाई निषेधाज्ञा योजित किया था, जो कि अभी भी न्यायालय सिविल जज लखनऊ के न्यायालय में चल रहा है।..
अतः इसी बीच प्रार्थी के ऊपर एक फर्जी / झूठा मुकदमा 156 (3) के तहत विश्राम रावत द्वारा मा० न्यायालय विशेष न्यायाधीश एस०सी०/एस०टी० एक्ट महोदय जनपद लखनऊ के आदेशानुसार थाना-म -मलिहाबाद, लखनऊ पर दिनांक 08.05.2023 को मु०प्र०सं०-063/ 2023 धारा 420, 406, 504, 506 भादं०वि० व 3 (1) द. व 3 (1) ध, व 3 (2) 5 एस०सी०/एस०टी० एक्ट, पंजीकृत कराया गया था।
प्रार्थी एक अधिवक्ता है और न्याय का पालन करने वाला सामाजिक व्यक्ति है और लड़ाई में विश्वास नहीं रखता है।
अतः अनुरोध है कि न्यायिक/विधिक कार्यवाही करते हुए प्रार्थी को और प्रार्थी के ड्राईवर अमन रावत को न्याय दिलाने की कृपा करें।