लखनऊ : (मानवी मीडिया) अपेक्षाकृत बुद्धिमान और इंसान की दोस्त डॉल्फिन के करतब आप गंगा की लहरों पर देख सकेंगे। दोस्ती बढ़ाकर आप इनके साथ खेल भी सकेंगे। ऐसा आने वाले कुछ वर्षों में इसलिए संभव है क्योंकि चंद रोज पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लुप्तप्राय हो रही "गांगेय डॉल्फिन" को प्रदेश का जलीय जीव घोषित किया है। सरकार के इस कदम से संबंधित विभाग फोकस के साथ इनके संरक्षण और संवर्धन का प्रयास करेंगे। सुरक्षा और संरक्षण से इनकी संख्या बढ़ेगी। ये गंगा की लहरों पर दिखने लगेंगी। इनके करतब लोगों के आकर्षण का विषय होंगे।गौरतलब है कि फ्रेश पानी की डॉल्फिन सरयू/शारदा, चंबल, गेरुआ और कुछ और नदियों में भी मिलती हैं, पर गंगा में इनकी संख्या सर्वाधिक है। चूंकि गंगा का सर्वाधिक अपवाह तंत्र उत्तर प्रदेश में ही है। लिहाजा गांगेय डॉल्फिन की संख्या भी उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक है। एक अनुमान के मुताबिक अगर इनकी कुल संख्या 2000 के आसपास है तो उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 1600 से 1700 तक हो सकती है। ऐसे में इनके संरक्षण और संवर्धन की सर्वाधिक जिम्मेदारी भी उत्तर प्रदेश की ही बनती है।
लखनऊ : (मानवी मीडिया) अपेक्षाकृत बुद्धिमान और इंसान की दोस्त डॉल्फिन के करतब आप गंगा की लहरों पर देख सकेंगे। दोस्ती बढ़ाकर आप इनके साथ खेल भी सकेंगे। ऐसा आने वाले कुछ वर्षों में इसलिए संभव है क्योंकि चंद रोज पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने लुप्तप्राय हो रही "गांगेय डॉल्फिन" को प्रदेश का जलीय जीव घोषित किया है। सरकार के इस कदम से संबंधित विभाग फोकस के साथ इनके संरक्षण और संवर्धन का प्रयास करेंगे। सुरक्षा और संरक्षण से इनकी संख्या बढ़ेगी। ये गंगा की लहरों पर दिखने लगेंगी। इनके करतब लोगों के आकर्षण का विषय होंगे।गौरतलब है कि फ्रेश पानी की डॉल्फिन सरयू/शारदा, चंबल, गेरुआ और कुछ और नदियों में भी मिलती हैं, पर गंगा में इनकी संख्या सर्वाधिक है। चूंकि गंगा का सर्वाधिक अपवाह तंत्र उत्तर प्रदेश में ही है। लिहाजा गांगेय डॉल्फिन की संख्या भी उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक है। एक अनुमान के मुताबिक अगर इनकी कुल संख्या 2000 के आसपास है तो उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 1600 से 1700 तक हो सकती है। ऐसे में इनके संरक्षण और संवर्धन की सर्वाधिक जिम्मेदारी भी उत्तर प्रदेश की ही बनती है।