लखनऊ : (मानवी मीडिया) संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में आज से ब्रेसकॉन-2023 की शुरूआत हो गई। तीन दिवसीय इस कांफ्रेंस में करीब 500 डॉक्टर हिस्सा ले रहे हैं। एसजीपीजीआई के कंवेंशन सेंटर में आयोजित ब्रेसकॉन- 2023 में शुक्रवार को पहले दिन ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन की नवीन तकनीक पर चर्चा हुई। इस दौरान करीब 150 डॉक्टरों को डॉ. भगवत माथुर, डॉ.वेंकट रामाकृष्णन और डॉ. फिलिप ने माइक्रोस्कोप की मदद से पेट का फैट निकाल कर ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन करने की जानकारी दी।
इस दौरान कांफ्रेंस के आर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. विनय कांत शंखधर और उनकी टीम ने एक सर्वे रिपोर्ट पेश की जो काफी चौकाने वाली रही। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई के डॉ. विनय कांत शंखधर और उनकी टीम ने महाराष्ट्र में यह पूरा सर्वे किया है।
एसजीपीजीआई स्थित प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर ने इस सर्वे रिपोर्ट की जानकारी देते हुये बताया कि यह सर्वे रिपोर्ट यह बताती है कि हमारे समाज में ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन को लेकर जागरुकता की बेहद कमी है। सर्वे रिपोर्ट की माने तों आम जनमानस तो दूर 60 फीसदी डॉक्टर ही नहीं जानते कि बेस्ट रिकंस्ट्रक्शन क्यों जरूरी है। उन्होंने बताया कि जो सर्वे रिपोर्ट आज डॉक्टरों के बीच में साझा की गई है। उसमें बताया गया है कि 70 प्रतिशत डॉक्टरों के पास ब्रेस्ट रिकंस्ट्रकशन को लेकर पूरी जानकारी ही नहीं है।
उनमें बहुत से डॉक्टरों को ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन कब कराना चाहिए। इसके लाभ को लेकर उन डॉक्टरों को पता ही नहीं था। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित 50 फीसदी महिला मरीजो ने बताया कि उनके कैंसर सर्जन ने उन्हें ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन के बारे में बताया ही नहीं। 30 फीसदी महिलाओं ने बताया कि पूछने पर डॉक्टर ने उनको ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन की जानकारी दी। केवल 20 फीसदी डॉक्टरों ने ब्रेस्ट रिकंस्ट्रक्शन की सटीक जानकारी कैंसर पीड़ित महिलाओं को उपलब्ध कराई।