लखनऊ : (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा ‘भारतीय भाषा महोत्सव’ के अवसर पर आज आयोजित ‘हिंदी भाषा में बाल साहित्य’ विषयक संगोष्ठी ने बाल साहित्य के विकास एवं साहित्यिक प्रभाव के मुद्दे पर गहरा प्रभाव डाला। इस संगोष्ठी ने बाल साहित्य के समृद्धि एवं उसके साहित्य को बढ़ावा देने का माध्यम प्रदान किया, जिससे भाषा की स्थिति में सुधार किया जा सके। साथ ही, इस संगोष्ठी ने बाल साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर गहरा अध्ययन किया और शोध कार्यों का प्रचार-प्रसार किया।
संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने विशेष रूप से, बाल साहित्य में होने वाले परिवर्तनों को समझने एवं विश्लेषण करने के माध्यम सबके समक्ष रखे एवं बाल साहित्य के प्रमुख लेखकों, कवियों और उनके रचनाओं के साथ मुलाकातें करके उनके योगदान को और अधिक समझने के लिए प्रयास करना चाहिए, ऐसा कहा जिससे बाल साहित्य को विस्तृत रूप से सबसे साझा किया जा सके।
इस संगोष्ठी का एक और महत्वपूर्ण पहलु यह रहा कि इसमें प्राचीन बाल साहित्य से लेकर आधुनिक अवस्था तक के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई, जिससे भाषा के समृद्धिशील विकास की समझ में मदद मिली। भाषा संस्थान ने बाल साहित्य के विकास एवं साहित्यिक विरासत को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये, जिससे यह मौन भूमि फिर से अपनी साहित्यिक महत्ता को पुनर्निर्माण कर सकती है।