बरेली : (मानवी मीडिया) मच्छरों के डंक से निजात दिलाने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम रहा। डेंगू के रिकॉर्ड मामले सामने आए तो शहरवासियों की गाढ़ी कमाई दवा व इलाज में खर्च हुई। सामान्य परिस्थितियों में प्रतिमाह अधिकतम दो-तीन करोड़ रुपये तक सिमटने वाला दवा कारोबार बीते दो माह में 50 करोड़ तक पहुंच गया। इसमें भी 40 करोड़ रुपये की सिर्फ एंटीबॉयोटिक दवाइयां बिकीं। पैरासिटामॉल, प्लेटलेट्स, मल्टीविटामिन, गैस, जुकाम व खांसी की दवाओं की जबर्दस्त मांग रही।
दवा कारोबारियों के मुताबिक इस बार डेंगू का प्रकोप सर्वाधिक रहा। बुखार, सर्दी, जुकाम, बदन दर्द, प्लेटलेट्स की कमी होने पर डेंगू की आशंका पर लोग सहम गए। डॉक्टरों ने भी संदिग्ध लक्षण मिलने पर पर्चे पर एंटीबॉयोटिक दवाओं के साथ में दर्द, बुखार, मल्टीविटामिन, गैस और प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए दवाएं लिखीं। 15 सितंबर से दवाओं की मांग बढ़ी जो 15 नवंबर तक जारी रही। इसी दौरान डेंगू भी पीक पर रहा। दिवाली के बाद से डेंगू थमने लगा तो दवाओं की बिक्री भी कम हो गई।