लखनऊ ( मानवी मीडिया): लोकसभा चुनाव के लिए बने इंडिया गठबंधन की गांठे विधानसभा चुनाव में ही ढीली होने लगी हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और सपा में कोई समझौता नहीं हो पाया है। इसलिए दोनों दलों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है।
यहां तक कि जिस सीट पर सपा अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में थी, उस पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार उतार दिया है। इसके बाद सपा ने नौ सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। सपा कुछ और सीटों पर अपने प्रत्याशियों को लड़ाने की तैयारी में है।
राजनीतिक जानकर बताते हैं कि इंडिया गठबंधन बनने के बाद समाजवादी पार्टी अभी पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अपने आधार का आकलन करना चाहती है। उसी हिसाब से आगे बढ़ रही है। वह मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारना चाह रही है। लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर कोई बात नहीं बन सकी है। इसलिए यहां अब दोनों दल अपने अपने हिसाब से मैदान में हैं। कई सीटों पर कांग्रेस और सपा आमने सामने आ गए हैं।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि हमारी पार्टी भी राष्ट्रीय दर्जा पाना चाहती है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हमारे लिए अवसर है। लेकिन कांग्रेस का दिल बहुत छोटा है। कांग्रेस ने रविवार को उन सीटों पर भी प्रत्याशी घोषित किए हैं, जो सपा गठबंधन के तहत मांग रही थी। इसीलिए हमारी पार्टी ने भी नौ उम्मीदवार की एक सूची जारी कर दी है। जब गठबंधन को लेकर बात चल रही थी तो अचानक से उम्मीदवार उतारना ठीक नहीं है। जब उन्हें सहयोग नहीं करना था तो गठबंधन की बात क्यों कर रहे थे। अब हम लोग अपने वोट बैंक के आधार पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे।
मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर सपा-कांग्रेस के बीच रार उनके नेताओं में दूरियां भी बढ़ा रही है। इस मामले को लेकर दोनों पार्टियों की ओर से बयान बाजी भी शुरू हो गई है। इस मामले में मध्यप्रदेश सपा के अध्यक्ष रामायण पटेल का कहना है कि कांग्रेस से हमारा दल समझौता करना चाह रहा था। लेकिन बात नहीं बनी। कांग्रेस ने 144 सीट घोषित कर दी है। उसमें कुछ सीटें सपा मांग रही थी।
उन्होंने कहा कि हमने भी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग अकेले दम पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हम लोगों ने कांग्रेस के सामने भी उम्मीदवार उतारा है। शेष सीटों के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष ही निर्णय लेंगे।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं कि सपा यूपी में कांग्रेस के लिए बड़े दिल दिखाने की बात करती है। लेकिन मध्यप्रदेश में अपने उम्मीदवार उतार देती है। यह आश्चर्यजनक है। इंडिया गठबंधन में होने के नाते इन्हें गठबंधन धर्म निभाना चाहिए। हम वहां भाजपा को हराना जा रहे हैं। इस काम में उन्हे बाधक न बनकर हमारा सहयोग करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 2009 में हमारे पास 22 सांसद रहे हैं। करीब 40 साल तक यूपी में सरकार चलाई है। यह बात उन लोगों को सोच समझकर बोलनी चाहिए। जिनका जन्म अभी दस पंद्रह साल पहले हुआ है। सपा अपने नेताओं की बयानबाजी पर रोक लगाए।
इसके जवाब में सपा के प्रवक्ता सुनील साजन का कहना है कि इंडिया गठबंधन में राष्ट्रीय नेतृत्व की बातें हो रही है। कांग्रेस को अपने छुटभैये नेताओं के बयान पर रोक लगानी चाहिए। इनकी कोई हैसियत नहीं है, वे बयान दे रहे हैं। कांग्रेस की गठबंधन में बड़ी भूमिका है। मुख्य विपक्षी पार्टी है। इनका यूपी में कुछ नहीं है। एक सांसद और दो विधायक भी सपा की कृपा पर हैं। सपा और अखिलेश को लेकर कोई बयानबाजी छोटे नेताओं को नहीं करनी चहिए। राष्ट्रीय नेतृत्व से आपस में बात हो रही है। अभी हम लोग मध्यप्रदेश में अकेले चुनाव लड़ रहे है। जहां हम भाजपा को हरा सकते हैं, वहां चुनाव लडेंगे।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रसून पांडेय कहते हैं कि इंडिया गठबंधन के लोगों को आगे तक चलने के लिए आपस में हर राज्य में गठबंधन करना पड़ेगा। नहीं तो यह सहयोग आगे चल पाना मुश्किल है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस और सपा का तालमेल गड़बड़ हो रहा है। इसका असर यूपी की लोकसभा सीटों पर भी पड़ सकता है। राज्यों में विपक्षी दल कितना एक साथ आ पाते हैं कि यह स्थानीय स्तर पर ही तय होना है। इसलिए अगर राज्यों में दोनों दल अगर अलग लड़ रहे है। लेकिन दोनों दलों के बीच बना अविश्वास आने वाले दिनों में यूपी में असर दिखा सकता है।