नोएडा (मानवी मीडिया): सुप्रीम कोर्ट के नोएडा प्राधिकरण को लेकर की गई टिप्पणी और राज्य सरकार को दिए गए एसआईटी गठित कर 15 दिन के अंदर रिपोर्ट जमा करने के आदेश के बाद जांच तेजी से चल रही है। रोजाना कुछ न कुछ गड़बड़ निकल कर सामने आ रही है। नोएडा प्राधिकरण ने गेझा तिलतपाबाद गांव के 11 प्रकरणों में करीब 82 करोड़ रुपए से अधिक का मुआवजा बिना अनुमति के बांट दिया। मामला उजागर होने पर अब नोएडा प्राधिकरण की तरफ से फेज वन कोतवाली में मामला दर्ज कराया है।
इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के विधि अधिकारी सुशील भाटी की तरफ से यह एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें कहा गया है कि गेझा तिलपताबाद के काश्तकारों ने प्राधिकरण के सामने गलत तथ्य पेश कर व प्राधिकरण के एलएआर विभाग में कार्यरत कर्मचारियों-अधिकारियों से साठगांठ कर 11 प्रकरणों में गलत तरीके से मुआवजा राशि प्राप्त कर लिया। यह मुआवजा वर्ष 2015-16 में बांटा गया।
प्राधिकरण की तरफ से दर्ज कराई एफआईआर में विधि विभाग के चार अधिकारियों के नाम भी हैं, जिन्होंने किसानों की ओर से प्रस्तुत तथ्यों की जांच के बिना उनको मुआवजा देने की फाइल को आगे बढ़ाया। इसमें से एक कनिष्ठ सहायक मदनलाल मीना की मौत हो चुकी है, जबकि विधि अधिकारी राजेश कुमार सेवानिवृत्त हो चुके हैं। एक अन्य तत्कालीन सहायक विधि अधिकारी वीरेंद्र सिंह नागर मुआवजा गड़बड़ी के एक अन्य मामले में ही करीब ढाई साल से निलंबित चल रहा है।
प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि इन सभी 11 प्रकरण में किसानों ने प्राधिकरण में झूठी अपील संख्या व अन्य तथ्य प्रस्तुत करते हुए बताया कि उनका हाइकोर्ट में मामला लंबित है, जिसमें 297 रुपए प्रति वर्ग गज से मुआवजे की मांग की गई है, जबकि इस मुआवजा राशि से लंबित मांग किसी न्यायालय में लंबित नहीं थी।