लखनऊ (मानवी मीडिया) राष्ट्रीय पशु बाघ (पैन्थेरा टिगरिस) की हड्डियों का ढांचा (स्केलेटन) सहित 02 तस्कर जनपद पीलीभीत से गिरफ्तार।
दिनांक 09-08-2023 को एस0टी0एफ0 उत्तर प्रदेश, वन विभाग एवं वाइल्ड लाइफ क्राइम कण्ट्रोल व्यूरो के संयुक्त अभियान में वन्यजीवों की तस्करी करने वाले गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से राष्ट्रीय पशु बाघ (पैन्थेरा टिगरिस) की हड्डियों का ढांचा (स्केलेटन) बरामद करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुयी।
गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण:-
1- अक्षय पुत्र राम औतार निवासी त्रिलोकपुर, जनपद लखीमपुर खीरी
2- राम चन्द्र पुत्र तेजीराम निवासी त्रिलोकपुर, जनपद लखीमपुर खीरी
बरामदगी-
1- राष्ट्रीय पशु बाघ (पैन्थेरा टिगरिस) की हड्डियों का ढांचा (स्केलेटन)।
6- 02 अदद मोबाइल फोन।
7- रू0 310/- नगद।
गिरफ्तारी का स्थान, दिनांक व समय
वन्य रेंज माला, जनपद पीलीभीत। दिनांक 30-09-2023 समय 17.10 बजे लगभग।
विगत कुछ दिनों से राष्ट्रीय पशु बाघ के लिए सरंक्षित वन्य जीव अभ्यारणों से इन्हें मारकर इनकी खाल, हड्डी, नाखून इत्यादि की तस्करी करने वाले गैंगों के सदस्यों के जनपद लखीमपुर-खीरी व पीलीभीत के आस-पास सक्रिय होने की सूचना प्राप्त हो रही थी। इस सम्बन्ध में एस0टी0एफ0 की विभिन्न इकाईयों/टीमों को अभिसूचना संकलन एवं कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया था। इसी क्रम में दीपक कुमार सिंह, पुलिस उपाधीक्षक, एसटीएफ लखनऊ के पर्यवेक्षण कार्यवाही करते हुए वाइल्ड लाइफ क्राइम कण्ट्रोल व्यूरो एवं वन विभाग से समन्वय स्थापित कर अभिसूचना संकलन की कार्यवाही की जा रही थी।
अभिसूचना संकलन के दौरान मुखबिर द्वारा ज्ञात हुआ कि निघासन जनपद लखीमपुर खीरी के कुछ व्यक्ति एक टाइगर को मारकर उसकी खाल व नाखून बेच चुके हैं व अब उसकी हड्डियों को किसी नेपाली तस्कर को बेचने की फ़िराक में हैं। इस सूचना पर एसटीएफ लखनऊ के उप निरीक्षक श्री तेज बहादुर सिंह, मु0आ0 विनोद कुमार यादव, मु0आ0 कृष्णकांत शुक्ल, मु0आ0 आलोक रंजन, मु0आ0 सुनील कुमार यादव आरक्षी चालक अफजाल की एक टीम गठित कर, डब्लूसीसीवी की टीम को साथ लेकर, मुखबिर के बताये स्थान पर पहुँचकर, उसकी निशादेही पर उक्त अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से उपरोक्त बरामदगी हुई।
गिरफ्तार अभिुयक्तों ने पूछताछ पर बताया कि बरामद किया गया राष्ट्रीय पशु बाघ (पैन्थेरा टिगरिस) की हड्डियों का ढांचा (स्केलेटन) की बिक्री नेपाल व चीन में होती है, जहाँ इनकी हड्डियों का चूर्ण बनाकर इनसे विभिन्न प्रकार की शक्तिवर्धक औषधियों का निर्माण किया जाता है।
बाघ के शिकार के सम्बन्ध में पूछताछ पर बताया कि बाघ के शिकार का काम हमलोग पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। हमलोग बाघ के आने-जाने के स्थानों की रेकी करते हैं फिर उन रास्तों पर लोहे का बना एक कुढा लगा देते हैं, जहाँ गुजरने पर बाघ का पांव उस कुढ़े में फंस जाता है और बाघ वहीं तड़प-तड़प कर मर जाता है। इसके बाद हमलोग मौका देखकर उनकी खाल, मांस हड्डी आदि को अलग-अलग कर ले जाकर छुपा देते हैं। इसके उपरान्त हम लोग नेपाल व चीन के तस्करों से सम्बन्ध साधकर इनकी बिक्री कर 05 से 10 लाख रुपये कमा लेते हैं। आज भी हमलोग बाघ की हड्डियों को बेचने जा रहे थे।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पषु बाघ वन्य जीव संरक्षण अधि0-1972 के सीड्यूल-1, पार्ट-1 के अन्तर्गत प्रतिबन्धित श्रेणी का वन्य जीव है।
गिरफ्तार अभियुक्तों के विरुद्ध अभियोग वन रेंज माला, पीलीभीत में पंजीकृत कराकर दाखिल किया जा रहा है। अग्रिम विधिक कार्यवाही प्रभागीय वन अधिकारी वन रेंज माला पीलीभीत के स्तर से सम्पादित की जायेगी।