लखनऊ( मानवी मीडिया) आज शिक्षा शास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में भारतीय संस्कृति और उदीयमान तकनीकी विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरम्भ में विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो० दिनेश कुमार द्वारास्वामी धर्मबन्धु संस्थापक श्री वैदिक मिशन ट्रस्ट, राजकोट, गुजरात का स्वागत किया गया।स्वामी जी ने अपने व्याख्यान में जीवन को शान्तिपूर्वक जीने और सफलता प्राप्त करने के मूलभूत बिन्दुओं की चर्चा की। स्वामी जी ने कहा कि कुछ देश अल्पसंसाधनों के बावजूद विकसित देशों की श्रेणी में आते हैं क्योंकि उन्होंने अपने प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर ढंग से उपयोग किया है। उच्च शिक्षा को लेकर स्वामीजी ने कहा कि विभिन्न देशों में उच्च शिक्षा का स्तर भारत की तुलना में अच्छा होने के बावजूद कोरोना के वैक्सीन नहीं बना पाये जबकि भारत ने पूरी दुनिया को कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध करा दी। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए गुणवत्ता एवं तकनीकी कौशल ज्यादा महत्वपूर्ण है।
स्वामी जी ने अपने व्याख्यान के आरम्भ में मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए विभिन्न सिद्धांतों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें संविधान का सम्मान करना चाहिये व्यक्ति के जीवन में नैतिकता अत्यन्त आवश्यक होती है जीवन नैतिकता पर आधारित होना चाहिए। नैतिकता के साथ-साथ व्यक्ति को ईमानदार होना चाहिए और व्यक्ति का केवल ईमानदार होना ही पर्याप्त नहीं है अपितु ईमानदारी आचरण में भी परिलक्षित होनी चाहिए। हम सभी को अपने कार्य के प्रति जुनून पैदा करना चाहिए। ताकि किसी कार्य को बेहतर ढंग से किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि अपने राष्ट्र से प्रेम करो इसके लिये अपने ज्ञान को बढ़ाओ उन्होंने बताया कि हमेशा अपने साथ मुकाबला करना चाहिए और दुःख को दूर करने के लिए अपनी आंतरिक शक्तियों को मजबूत बनाना चाहिए हमें दुःख को आत्मसात करना सीखना चाहिए। स्वामी जी ने कहा कि व्यक्ति को अपनी सहायता स्वयं करनी चाहिए।
व्याख्यान के अन्त में स्वामी जी ने गीता के श्लोक के माध्यम से जीवन के उद्देश्यों की चर्चा की।
कार्यक्रम के अन्त में डॉ० किरन लता डंगवाल द्वारा मुख्य वक्ता का धन्यवाद ज्ञापन किया गया । कार्यक्रम में डॉo सूर्य नारायण गुप्ता सहित अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे।