इलाहाबाद : (मानवी मीडिया) हाईकोर्ट ने डॉक्टर की हत्या के मामले में एक महिला को जमानत (जमानत) दे दी। दस साल पहले डॉक्टर का प्राइवेट पार्ट उन्हें उनकी पत्नी को डिपार्टमेंट के केस में महिला को मिला था और 2016 में एजकैड की सजा मिली थी। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायाधीश नलिन कुमार ग्रैफ़ की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने तानाशाही अवधि को ध्यान में रखते हुए महिला को जमानत दे दी।
अदालत ने कहा, अपील के अंतिम अभियोजक और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में कुछ समय लग सकता है। न्यायिक अवधि को देखते हुए ज़मानत दी जाती है।अपीलकर्ता/दोषी को वर्ष 2013 में एक निजी होटल में एक डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट को सर्जिकल ब्लेड से काटने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान पता चला कि उसने एक नवीनता में पैक किए गए हिस्सों को काट दिया था और कूरियर के माध्यम से मृतक की पत्नी को भेजा था। सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश, कानपुर देहात की अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया और साल 2016 में किशोर किशोर की सजा सुनाई।