तिरुचिरापल्ली : (मानवी मीडिया) कावेरी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक एक बार फिर आमने सामने हैं। इस मुद्दे को लेकर किसान संगठनों ने बेंगलुरु बंद बुलाया है। वहीं तिरुचिरापल्ली में तमिलनाडु के किसानों के एक समूह ने अपने मुंह में मरे हुए चूहे रखकर कर्नाटक सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कर्नाटक से राज्य के लिए कावेरी का पानी छोड़ने की मांग की
कावेरी जल विवाद दरअसल दो राज्यों के बीच है। कर्नाटक और तमिलनाडु के लोग इस मुद्दे को लेकर आमने सामने हैं। इसके तार साल 1892 और 1924 से जुड़े माने जा सकते हैं, जब मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर साम्राज्य के बीच दो समझौते हुए थे। दरअसल केंद्र ने तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पुडुचेरी के बीच जल बंटवारे की क्षमता पर जो असहमति थी, उन्हें दूर करने की कोशिश की और जून 1990 में कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की स्थापना की।
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर साल 2018 में फैसला भी सुनाया और बताया कि कर्नाटक को कितना पानी रखना चाहिए और तमिलनाडु को कितना पानी दिया जाना चाहिए। उस फैसले के मुताबिक, कर्नाटक को जून और मई के बीच ‘सामान्य’ जल वर्ष में तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी आवंटित करना होगा।