लखनऊ (मानवी मीडिया) उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजय कुमार प्रथम ने बताया कि न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी, वरिष्ठ न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, इलाहाबाद व कार्यपालक अध्यक्ष, उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के समस्त कार्यों को राजभाषा हिन्दी में सम्पादित करने का कृपापूर्ण निर्देश प्रदान किया गया है। इससे प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों को कार्य सम्पादन में सरलता होगी और राजभाषा के प्रति यथोचित सम्मान अभिव्यक्त होगा। उ०प्र० राज्य में शासकीय कार्यों की भाषा हिन्दी है और उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा भी सामान्य रूप से हिन्दी भाषा में कार्य किया जाता है।उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एक सांविधिक संस्था है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में यह उपबन्धित किया गया है कि संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिये प्रयोग होने वाले अंक का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा। इसी प्रकार अनुच्छेद 345 में यह उपबन्ध किया गया है कि अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए किसी राज्य का विधान मण्डल, विधि द्वारा उस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिन्दी हो उस राज्य के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिये प्रयोग की जाने वाली भाषा या भाषाओं के रूप में अंगीकार कर सकेगा।
लखनऊ (मानवी मीडिया) उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव संजय कुमार प्रथम ने बताया कि न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी, वरिष्ठ न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, इलाहाबाद व कार्यपालक अध्यक्ष, उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के समस्त कार्यों को राजभाषा हिन्दी में सम्पादित करने का कृपापूर्ण निर्देश प्रदान किया गया है। इससे प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों को कार्य सम्पादन में सरलता होगी और राजभाषा के प्रति यथोचित सम्मान अभिव्यक्त होगा। उ०प्र० राज्य में शासकीय कार्यों की भाषा हिन्दी है और उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा भी सामान्य रूप से हिन्दी भाषा में कार्य किया जाता है।उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एक सांविधिक संस्था है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में यह उपबन्धित किया गया है कि संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिये प्रयोग होने वाले अंक का रूप भारतीय अंकों का अन्तर्राष्ट्रीय रूप होगा। इसी प्रकार अनुच्छेद 345 में यह उपबन्ध किया गया है कि अनुच्छेद 346 और अनुच्छेद 347 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए किसी राज्य का विधान मण्डल, विधि द्वारा उस राज्य में प्रयोग होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अधिक भाषाओं को या हिन्दी हो उस राज्य के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिये प्रयोग की जाने वाली भाषा या भाषाओं के रूप में अंगीकार कर सकेगा।