लखनऊ : (मानवी मीडिया) राजधानी स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGI) में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर उपकरणों को लगाने की तैयारी की जा रही है, लेकिन इससे पहले न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग की तरफ से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिससे पीपीपी मॉडल की खामियों से निजात पाई जा सके और पारदर्शिता के साथ मरीजों को लाभ पहुंचाया जा सके।
दरअसल, एसजीपीजीआई में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। बीते कई सालों से मरीजों की संख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। जबकि एसजीपीजीआई में संसाधन मरीजों के मुकाबले कम हैं। जानकारों की माने तो एक सीटी स्कैन जांच तक के लिए मरीजों को दो-दो महीने इंतजार करना पड़ता है।
ऐसे में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के विभागाध्याक्ष प्रो. (डॉ.) एस. गंभीर ने एक संगोष्ठी का आयोजन किया। जिससे मरीजों को अलग-अलग जांच और इलाज के लिए लंबा इतजार न करना पड़े। इसके लिए पीपीपी मॉडल पर उपकरणों की स्थापना पर चर्चा की है। इस गोष्ठी का आयोजन न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के स्थापना दिवस के अवसर पर किया गया था।