लखनऊ : (मानवी मीडिया) वर्ष 2019-20 में 51 जिलों की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को 123 करोड़ से अधिक रुपये के बांटे गए 1,23,938 स्मार्टफोन में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है, जो सामने आने के बाद बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग दबाए है। यह फोन राज्य पोषण मिशन से खरीदकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को ऑनलाइन कामकाज के लिए दिए थे। जिसकी खरीद एक उपनिदेशक ने जेम पोर्टल से सिर्फ एक फर्म को लाभ देकर कस्टम विकल्प से की थी। जबकि अन्य फर्मों द्वारा डाली गई बिड मानकों में उलझाकर बिना कारण निरस्त कर दी थी।
उस समय राज्य पोषण मिशन के निदेशक (वित्त) ने जांच कराई तो नियमविरुद्ध खरीद के साथ उपनिदेशक को दोषी पाया था और तथ्य छिपाकर गलत टिप्पणी करने पर कार्रवाई की संस्तुति की थी। जिस पर शासन ने भी कार्रवाई के निर्देश दिए थे, जो नहीं हुई। इधर, झांसी की एक समाजसेवी ने शासन को अवगत कराया है। वहीं, मामले पर निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने बताया कि उन्हें जानकारी नहीं है न ही यह मामला संज्ञान में आया है।
यह भी सामने आया कि एक हैंडसेट जीएसटी समेत 10 हजार रुपये तक खरीदना था। जो एक प्रतिष्ठित कंपनी से साठगांठ कर जीएसटी समेत 8 हजार रुपये का सौदा तय हुआ। लेकिन कमाई के चक्कर में पूर्व के एक उच्च अधिकारी ने केंद्र से अनुमति लेकर 1800 रुपये अलग से जीएसटी लगाकर 9,800 रुपये के फोन खरीदे। जिसका जांच में उल्लेख नहीं किया गया। वहीं, खरीदे गए स्मार्टफोन की तकनीकी जांच भी बिना अनुभवी संस्था से कराकर पास कर दिए गए।
जिलों पर चर्चा यह भी है कि जो स्मार्टफोन दिए गए वह मॉडल बंद हो गए थे। जिसकी एक साथ खरीद की गई। उनकी गुणवत्ता खराब है और क्षमता भी कम है। इसलिए ज्यादातर फोन उसी समय खराब हो गए थे। इस कारण अधिकांश आंगनबाड़ी कार्यकत्री सरकारी स्मार्टफोन घरों पर रखकर अपने निजी से काम कर रही हैं। इससे पहले 54 हजार स्मार्टफोन दूसरी कंपनी के खरीदे गए थे। उसमें भी तमाम खराब निकले।