मिश्र ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री का विजन था कि जी20 का कार्यक्रम अखिल भारतीय आयोजन होना चाहिए और यह आयोजन हर राज्य और हर केन्द्रशासित प्रदेश में होना चाहिए। उनके विजन के अनुरूप जी20 को विकेंद्रीकृत और लोकतांत्रिक बनाया गया और देश के कोने-कोने में इसकी बैठकों का आयोजन किया गया। हर राज्य ने बाहर से आए प्रतिनिधियों के मन पर अपनी अनूठी सांस्कृतिक छाप छोड़ी। इस सांस्कृतिक छाप से दुनिया को भारत की विविधता के बारे में जानकारी मिली।
प्रधान सचिव पी के मिश्र ने आगे यह भी कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के कार्यकाल की एक प्रमुख प्राथमिकता ऐसी दुनिया का निर्माण करना था जो अधिक समावेशी हो और जहां ग्लोबल साउथ की आवाज को अब नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकन यूनियन को भारत के प्रस्ताव पर सदस्यता दी गई। इसे ‘ग्लोबल साउथ’ का नेतृत्व करने की भारत की महत्वाकांक्षा को नई ताकत माना जा रहा है।
युवाओं को लेकर प्रधान सचिव ने अपने सम्बोधन में कहा कि जी20 की अध्यक्षता युवाओं के लिए नए द्वारा खोलेगी। यह भारत के प्रतिभाशाली और सृजन करने में सक्षम युवाओं पर निर्भर है कि वे नवाचार के इस युग में अग्रणी के रूप में अवसरों का लाभ उठाएं। उन्होंने अपने सम्बोधन का समापन एपीजे अब्दुल कलाम के इस प्रसिद्ध उद्धरण से किया- “भविष्य की भविष्यवाणी करने का सबसे अच्छा तरीका इसे बनाना है।”