आदेश में कहा गया है कि यदि दाेनों को किसी अन्य मामले में जेल में निरुद्ध रखना आवश्यक न हो, तो जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर के विवेक के अनुसार दो जमानतें तथा उतनी ही धनराशि का एक मुचलका प्रस्तुत करने पर कारागार से मुक्त कर दिया जाए।
बता दें कि करीब 20 वर्ष पहले राजधानी की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि और मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था।
बाद में इस मामले का मुकदमा देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया। दोनों जेल में बीते 20 वर्ष एक माह और 19 दिन से थे। उनकी आयु, जेल में बिताई गई सजा की अवधि और अच्छे जेल आचरण को देख कर बाकी बची हुई सजा को माफ कर दिया गया है।
उधर, मधुमिता की बहन निधि शुक्ला ने अमरमणि की रिहाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। उन्होंने वीडियो मैसेज और लेटर जारी किया है। रिहाई आदेश पर हैरानी जताते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में आज सुनवाई है। तब तक रिहाई पर रोक लगाई जाए।
दरअसल, निधि ने ही मधुमिता हत्याकांड की कोर्ट तक लड़ाई लड़ी थी और अमरमणि को सजा दिलवाई थी। 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया। इसमें लिखा है कि उनकी उम्र 66 साल होने, करीब 20 साल तक जेल में रहने और अच्छे आचरण को देखते हुए किसी अन्य वाद में शामिल न हो तो रिहाई कर दी जाए।
जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर की तरफ से आदेश जारी हुआ कि दो जमानतें और उतनी ही धनराशि का एक निजी मुचलका देने पर उन्हें जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद अब शासन की ओर से अमरमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों की रिहाई पर विचार करने को लेकर राज्य सरकार को सलाह दी थी। इसके बाद अमरमणि ने अपनी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सरकार को 10 फरवरी 2023 को रिहाई का आदेश दिया था। आदेश का पालन नहीं होने पर फिर अमरमणि की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई।
अमरमणि के रिहाई के आदेश के बाद मधुमिता की बहन निधि शुक्ला का बयान सामने आया है। इसमें वह कह रही हैं, “राज्यपाल के आदेश पर मुझे बहुत हैरानी हुई। क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल को 15 दिन से बराबर हम सूचना दे रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हमारी याचिका स्वीकार हो चुकी है। 25 तारीख को सुनवाई है। मुझे लगता है कि राज्यपाल को भ्रमित कराकर रिहाई का आदेश करवाया गया है। मेरी प्रार्थना है कि हमारी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश जब तक नहीं आता, तब तक रिहाई पर रोक लगा देनी चाहिए।”
ज्ञात हो कि लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को मशहूर कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हुई हत्या से तत्कालीन बसपा सरकार में हड़कंप मच गया था। चंद मिनटों में मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग के बारे में नौकर देशराज ने जानकारी दी, तो तत्काल शासन के अधिकारियों को सूचित किया गया।
दरअसल अमरमणि बसपा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार थे। इस हत्याकांड के बाद देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन यूपी के सियासी गलियारों में अमरमणि की हनक कभी कम नहीं हुई।