नई दिल्ली ( मानवी मीडिया)-चांद पर दुनिया के सभी देशों की निगाहें टिकी हैं। इसके पीछे कई राज हैं। रूस का अभियान हाल ही में असफल हुआ। वैज्ञानिकों की चांद को लेकर अलग-अलग राय हैं। चांद के दक्षिणी ध्रुव का क्या है रहस्य और यहां पहुंचने के लिए मतवाली क्यों है दुनिया? समझिए
वैज्ञानिकों का दावा है कि चांद पर हीलियम का एक आइसोटोप है जो पृथ्वी पर दुर्लभ है, लेकिन चंद्रमा पर इसके दस लाख टन होने का अनुमान है। इसके साथ ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पर्वत श्रृंखलाओं की सतत छाया में बर्फ के नीचे पानी दबा हो सकता है। चंद्रमा पर स्कैंडियम और यिट्रियम सहित कई रेयर अर्थ मेटल्स भी हैं। इनका उपयोग स्मार्टफोन, कंप्यूटर और एडवांस्ड टेक्नॉलजीज में होता है। हालांकि इनकी माइनिंग के लिए चंद्रमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। फिलहाल चंद्रमा पर जैसे हालात हैं, उनमें अधिकतर काम रोबोट के जरिए ही हो पाएगा। लेकिन उस काम के लिए भी काफी रिसर्च की जरूरत है। मून मिशन के जरिए इस दिशा में कदम बढ़ेंगे।चंद्रमा पर मौजूद पानी, वहां की चट्टानों और मिट्टी का किस तरह उपयोग किया जा सकता है, इस पर कई देशों की नजर है। वहां पानी है, इसका पक्का पता चंद्रयान-1 ने लगाया था। इसने चंद्रमा के पोलर एरिया में हाइड्रॉक्सि मॉलिक्यूल्स का पता लगाया था। अगर चंद्रमा पर मौजूद पानी का उपयोग किया जा सके, तो उसके जरिए रॉकेट का ईंधन तैयार करने में मदद मिलेगी। वैज्ञानिक यह भी देख रहे हैं कि चंद्रमा को दूसरे ग्रहों के लिए भेजे जाने वाले अभियानों का एक पड़ाव बनाया जा सकता है या नहीं।