लखनऊ (मानवी मीडिया), लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ में शैक्षिक शोध में विभाजन' विषय पर विशिष्ठ व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो० आशीष श्रीवास्तव, अधिष्ठाता, शैक्षिक अध्ययन विभाग, महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतीहारी (बिहार) ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के आरम्भ में विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो० दिनेश कुमार द्वारा प्रो० आशीष श्रीवास्तव का स्वागत किया गया।
अपने व्याख्यान के आरम्भ में प्रो० श्रीवास्तव ने विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के साथ मिलकर एक क्रियाकलाप के माध्यम से शोध में बहुविध चिन्तन के सम्प्रत्यय को स्पष्ट करते हुए बताया कि एक शोधार्थी को अपने शोध विशय के चयन में बहुविध चिन्तन का उपयोग करना चाहिए। लीक पर चलते हुए शोधार्थी यदि एक ही दिशा में सोचंगे तो प्रासंगिक शोध विषय का उचित चयन करना सम्भव नहीं हो पायेगा।
प्रो0 श्रीवास्तव ने अपने व्याख्यान में कहा कि शोधार्थी को शोध समस्या के चयन में विभिन्न प्रमाणिक स्रोतों का गहन अध्ययन करना चाहिए, जिससे वे वर्तमान की शैक्षिक समस्याओं की पहचान करने में सक्षम हो सकेंगे। इस प्रकार की समस्याएं शैक्षिक अभ्यासों को गहनता से समझने में सहायक होंगी।
शोधकार्य में शोध को पूरी प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को रेखाचित्र के माध्यम से समझाते हुए प्रो० श्रीवास्तव ने बताया कि प्रत्येक शोध विधि की अपनी एक निश्चित प्रक्रिया होती है इसलिए शोधार्थी को इनकी बारिकियो से परिचित होना आवश्यक होता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने शोध प्रविधियों, शोध उपकरणों, मात्रात्मक तथा गुणात्मक शोध उपागमों, आंकडो के विश्लेषण की मात्रात्मक तथा गुणात्मक तकनीकों, शोध अभिलल्पों इत्यादि के विषय में विस्तारपूर्वक बताया।प्रो० श्रीवास्तव विभिन्न शोधार्थियों तथा विद्यार्थियों के द्वारा पूछे गयो प्रश्नों को प्रभावी तरीके से उत्तर देते हुए उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
कार्यक्रम के अन्त में डॉ० सूर्य नारायण गुप्ता तथा गरिमा सिंह द्वारा मुख्य वक्ता का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। इस दौरान प्रो० मुनेश कुमार, डॉ० सुमित गंगवार, डॉ० संजय सिंह यादव, डॉ० बीना इन्द्राणी तथा डॉ० देवेन्द्र कुमार यादव, तथा आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे।