(मानवी मीडिया) : चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद पर कदम रख चुका है। चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। चांद पर पहुंचने के बाद अब सूरज की बारी है। इसके लिए भी ISRO के वैज्ञानिकों ने तैयारी कर ली है।
सितंबर में सूरज तक पहुंचने के लिए आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग हो सकती है। अंतरिक्ष और आसमान को एक्सप्लोर करने का ये सिलसिला यहीं रुकने वाला नहीं है। इसके बाद NISAR और SPADEX जैसे दो और ताकतवर अंतरिक्ष मिशन लॉन्च होंगे।
सूर्य की निगरानी के लिए भेजे जा रहे इस उपग्रह के सभी पेलोड (उपकरणों) का परीक्षण पूरा कर लिया गया है। जल्द ही इसका आखिरी रिव्यू होगा। सब कुछ ठीक रहा तो सितंबर के शुरुआती हफ्ते में इसे स्पेस में भेजा जा सकता है।
आदित्य L-1 से सोलर कोरोनल इजेक्शन यानी सूर्य के ऊपरी वायुमंडल से निकलने वाली लपटों का एनालिसिस किया जाएगा। ये लपटें हमारे कम्युनिकेशन नेटवर्क व पृथ्वी पर होने वाली इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों को प्रभावित करती हैं।
सूर्य को जानने के लिए दुनियाभर से अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कुल मिलाकर 22 मिशन भेजे हैं। सबसे ज्यादा मिशन अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने भेजे हैं। NASA ने पहला सूर्य मिशन पायोनियर-5 साल 1960 में भेजा था। जर्मनी ने अपना पहला सूर्य मिशन 1974 में NASA के साथ मिलकर भेजा था। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अपना पहला मिशन NASA के साथ मिलकर 1994 में भेजा था।