कोलकाता : (मानवी मीडिया) पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा राजभवन में भ्रष्टाचार रोधी प्रकोष्ठ स्थापित किये जाने की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को तीखी आलोचना की और इसे राज्य प्रशासन के कामकाज में हस्तक्षेप का प्रयास करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बोस ‘एक मुखौटा लगाकर’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निर्देशों के तहत काम कर रहे हैं।
वहीं, राजभवन में भ्रष्टाचार रोधी प्रकोष्ठ की शुरुआत के दौरान बोस ने तृणमूल के आरोप को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रकोष्ठ ‘दूसरे के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसी पहल आम लोगों को सक्षम अधिकारियों के पास अपनी शिकायतें भेजने में मदद करेगी। बनर्जी ने कहा, ‘‘मैंने सुना है कि राज्यपाल ने एक भ्रष्टाचार रोधी प्रकोष्ठ गठित किया है। यह राजभवन का काम नहीं है।
हम राज्यपाल का सम्मान करते हैं। वह खुद से प्रकोष्ठों को गठित कर रहे हैं। वह अनावश्यक रूप से राज्य के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रहे हैं।’’ बनर्जी ने कहा कि राज्यपाल की जिम्मेदारियां संविधान में तय की गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं देख सकती हूं कि वह (बोस) एक मास्क लगाए हुए हैं और भाजपा के निर्देशों के तहत काम कर रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि बोस ने अपने गृह राज्य केरल के एक ऐसे व्यक्ति को बंगाल के एक विश्वविद्यालय में कुलपति नियुक्त किया है, जिसके पास शिक्षा के क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है। बोस ने तृणमूल के आरोप को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह इकाई ‘दूसरे के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेगी।
राज्यपाल ने कहा, ‘‘ यहां भ्रष्टाचार निरोधक इकाई में हम उन लोगों की आवाज उठाने में मदद करेंगे जो ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। हिंसा के दौर में राजभवन ऐसे लोगों का मित्र बनने का प्रयास कर रहा है जिनके दोस्त नहीं हैं। जब ‘शांति कक्ष’ की स्थापना की गयी थी तब भी आशंकाएं थीं। ‘शांति कक्ष’ ने क्या हासिल किया? हम किसी अन्य के कार्यक्षेत्र का अतिक्रमण करने का प्रयास नहीं करेंगे।