(मानवी मीडिया) : मिशन मून के तहत चंद्रयान-3 अपनी यात्रा के महत्वूर्ण पड़ाव पर पहुंच चुका है. गुरुवार को चंद्रयान-3 अपने आखिरी और पांचवी कक्षा में प्रवेश कर गया. इसके साथ ही विक्रम लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया और अब यह 100 किलोमीटर की आगे की यात्रा खुद से तय करेगा. इसरो के मुताबिक 23 अगस्त को शाम 5.45 बजे विक्रम लैंडर चंद्रमा के सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.
सबसे बड़ी चुनौती विक्रम के पास अपनी गति को धीमे करते हुए चांद की दूर को कम करना है. क्योंकि, अब तक की दूसरी प्रोपल्शन मॉड्यूल ने तय कराई है. लेकिन, अब लैंडर को खुद से दूरी तय करनी है. गौरतलब है कि विक्रम लैंडर अब गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमेगा, अब यह 30 किमी X 100 किमी की अंडागार ऑर्बिट के चक्कर लगाने के लिए अपनी ऊंचाई कम करेगा. गति को धीमा करने के लिए इसके इंजनों को रेट्रोफायरिंग यानी उल्टी दिशा में घुमाय जाएगा.
सेपरेशन के बाद लैंडर मॉड्यूल ने प्रोपल्शन मॉड्यूल को थैक्स कहा. लैंडर ने कहा, “Thanks for the ride mate”. इसरो (ISRO) का कहना है कि मॉड्यूल से अलग होने के बाद शुक्रवार शाम 4 बजे लैंडर को डीबूस्टिंग के जरिए इसे निचली कक्षा में लाया जाएगा.
23 अगस्त को होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया बेहद ही पेचीदा और महत्वपूर्ण है. 30 किलोमीटर की ऊंचाई से विक्रम लैंडर को 90 डिग्री के कोण से लैंड कराया जाएगा. इसका रफ्तार 1.68 किमी प्रति सेकंड होगी. लेकिन, थ्रस्टर की सहायता से इसे कम करते हुए चांद के उत्तरी ध्रुव की सतह पर सुरक्षित उतारा जाएगा.