दिल्ली : (मानवी मीडिया) जमीयत उलमा-ए-हिंद की वर्किंग कमेटी की एक बैठक दिल्ली स्थित मुख्यालय में आयोजित की गई। इसमें समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर चर्चा की गई। साथ ही मुस्लिम पारिवारिक कानूनों के समक्ष आने वाली चुनौती का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
सोमवार को आयोजित बैठक में जमीयत अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत एप्लीकेशन एक्ट 1937) के क्रियांवयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
वर्तमान समय में यूसीसी द्वारा विशेष रुप से मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है, जो हमें बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। हम ऐसे किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि यह मामला मुस्लिम अल्पसंख्यक की पहचान से जुड़ा है, देश के संविधान ने अनेकता में एकता को केंद्रीय भूमिका में रखा है। इसलिए यदि किसी एक की पहचान को मिटाने का प्रयास किया गया तो यह देश की गौरवपूर्ण पहचान को मिटाने के समान होगा।