लखनऊ : (मानवी मीडिया) कंजक्टिवाइटिस बीमारी वैसे तो किसी भी मौसम में हो सकती है, लेकिन बारिश के मौसम में इसका खतरा अधिक होता है। इसके पीछे की वजह वातावरण का गर्म और नम होना होता है। इसमें बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण तेजी से फैलता है।
ऐसे में यदि किसी को कंजक्टिवाइटिस का संक्रमण हो जाये तो उसे एक से दो दिन के भीतर चिकित्सक से मिलकर इलाज शुरू करना चाहिए। विशेषकर बच्चों और मधुमेंह से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के नेत्र रोग विभाग के प्रो.(डॉ.) अरुण कुमार शर्मा ने अमृत विचार के साथ हुई बातचीत के दौरान दी है।
उन्होंने बताया कि केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग की ओपीडी में कंजक्टिवाइटिस संक्रमण से पीड़ित मरीजों की संख्या में करीब 10 फीसदी तक बढ़ोत्तरी हुई है। रोजाना ओपीडी में कंजक्टिवाइटिस संक्रमण से पीड़ित 10 से 15 मरीज पहुंचते हैं। प्रो.अरुण कुमार शर्मा के मुताबिक एक से दो दिन में आंखों की समस्या में सुधार न हो तो तत्काल चिकित्सक से सलाह जरूर लें, नहीं तो इस बीमारी में संक्रमण बढ़ने पर कुछ मामलों में कार्निया अल्सर भी हो सकता है। जो कि आंखों के स्वास्थ्य के लिए काफी घातक हो सकता है।
क्या होता है Conjunctivitis
प्रो.अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि आंखे बहुत ही संवेदनशील होती हैं। ऐसे में थोड़ी भी समस्या होने पर लक्षण सामने आ जाते हैं। उन्होंने बताया कि कई बार लोग कहते हैं कि आंखे आ गई हैं या फिर पिंक आई होना बताते हैं। इसे ही चिकित्सीय भाषा में कंजक्टिवाइटिस कहा जाता है। कुछ लोगों में यह दिक्कत जल्द ही ठीक हो जाती है। वहीं कुछ लोगों में यह बीमारी बड़ी समस्या देती है। इसमें तत्काल इलाज की जरूरत होती है। समस्या होने पर आंखों का सफेद हिस्सा लाल हो जाता है।