लखनऊ : (मानवी मीडिया) शहरी कोआपरेटिव बैंकों में लोन के नाम पर होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने दिशानिर्देश जारी किए हैं। संपत्तियों के एवज में लोन देने से पहले बैंक कम से कम दो वैल्यूअर से संपत्ति का मूल्यांकन कराएंगे। भूमि और भवन, संयंत्र, मशीनरी, कृषि भूमि का हिसाब अलग-अलग रखना होगा।
गोल्ड लोन के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं। गोल्ड लोन एक साल से ज्यादा के लिए कोआपरेटिव बैंक नहीं दे सकेंगे। सोना कितना शुद्ध है, अपरिहार्य स्थिति को छोड़कर इसकी जांच बैंक परिसर में ही पंजीकृत सराफा व्यापारी से कराना होगी।
शहरी कोआपरेटिव बैंकों में एनपीए यानी गैर निष्पादित संपत्तियां आरबीआई के लिए चिंता का विषय है। इसे कम करने और शहरी कोआपरेटिव बैंकों के कामकाज में पारदर्शिता के लिए तमाम नियम लागू किए जा चुके हैं। कोआपरेटिव बैंकों की निगरानी के लिए आनलाइन बैंकिंग सहित दस्तावेजी प्रक्रिया को बढ़ा दिया गया है।
अब संपत्तियों और गोल्ड लोन में पारदर्शिता लाने के लिए आरबीआई ने नए मानक तय किए हैं। ऐसा इसलिए कि बड़ी संख्या में संपत्तियों की कीमत से ज्यादा लोन देकर बैंकों में जमा ग्राहकों की गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ किया जा रहा है। प्रबंधन की सांठगांठ से मूल कीमत से ज्यादा लोन लेने वाले 90 फीसदी खाते एनपीए हो जाते हैं।