कार्यक्रम का शुभारम्भ विभागाध्यक्ष तथा संकायाध्यक्ष प्रो० दिनेश कुमार ने विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ० रजनीश अग्रहरि, शिक्षा विद्यापीठ, डॉ० हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म0प्र0) का परिचय कराते हुए किया।
डॉ० अग्रहरि ने अपने व्याख्यान के आरम्भ में भारतीय ज्ञानमीमांसा का विस्तृत विवरण देते हुए ज्ञान तथा ज्ञान
प्राप्ति के विभिन्न साधनों को बताते हुए कहा कि ज्ञान प्राप्ति के अलग-अलग मार्ग / साधन हो सकते है लेकिन शोधकार्य में ज्ञान के वैज्ञानिक साधन की सर्वाधिक स्वीकारोक्ति हुई है।
समाज विज्ञानों के शोध कार्य में ज्ञान तथा सत्य की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित तथा वैज्ञानिक मार्ग का अनुसरण करना एक शोधार्थी के लिए अनिवार्य होता है। यदि शोधार्थी अपने शोध के उद्देश्यों के अनुसार उचित शोध विधि का चयन करता है तो निश्चय ही वह एक वैध तथा विश्वसनीय निष्कर्ष पर पहुँचेगा। सामाजिक विज्ञानों की ज्ञानमीमांसा सामाजिक मुद्दों एवं सामाजिक कियायों प्रक्रियाओं से सीधा सम्बन्धित होता है। शोधार्थी का उत्तरदायित्व और अधिक बढ़ जाता है कि वह समाज विज्ञान की प्रकृति के अनुरूप ज्ञानमीमांसा को ध्यान में रखते हुए उचित शोध विधि का चयन करें और वास्तविक निष्कर्ष तक पहुँच सकें।व्याख्यान के अंत में प्रो0 मुनेश कुमार द्वारा डॉ० अग्रहरि का धन्यवाद ज्ञापन किया गया। इस दौरान विभाग के सभी संकाय सदस्य उपस्थित रहे।