मदुरै (मानवी मीडिया) मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह छुआछूत जैसी प्रथा को जारी रखने की परमिशन नहीं दे सकता। न ही मूकदर्शक बना रह सकता है।
जस्टिस पीटी आशा ने कहा- यदि आजादी के 75 साल बाद भी विशेष समुदाय को मंदिरों में जाने से रोका जा रहा है, तो ऐसी घटनाओं से हमारा सिर शर्म से झुक जाना चाहिए।
कोर्ट माथी मुरुगन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसे अरुलमिघु श्री मंगला नायकी अम्मन मंदिर में अधिकारी नियुक्त करने और उनके समुदाय को मंदिर के उत्सव में भाग लेने की अनुमति देने की मांग की गई थी।
क्या था मंदिर में प्रवेश से रोक का मामला
पिछले दिनों एम माथी मुरुगन को पुदुक्कोट्टई जिले के एक मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। इसके खिलाफ उसने कोर्ट में अपील की। माथी ने कहा कि कुछ लोग केवल एक विशेष समुदाय में जन्म के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे हैं।