रविवार को इस कॉन्फ्रेंस को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी संबोधित किया। वर्चुअल संबोधन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा भारत जितना अधिक आत्मनिर्भर होगा, सेमीकंडक्टर व चिप उत्पादन में भी उसकी आत्मनिर्भरता उतनी अधिक होगी। ऐसे में उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य और लचीली आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने पर बढ़ते वैश्विक जोर के बीच भारत घरेलू स्तर पर विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनियों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है।
जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच की साझेदारी अब कई अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ रही है और समय के साथ इसमें मजबूती आएगी। उदाहरण के लिए अंतरिक्ष में भारत ने आर्टेमिस अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए हैं और नासा और इसरो की साझेदारी भी मजबूत हो रही है। क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का अहम तत्व है। विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों में ये तकनीक बड़े बदलाव ला सकती है और किसी भी ताकतवर देश के लिए बेहद अहम साबित होगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि 'खनिज सुरक्षा साझेदारी में भारत की एंट्री बेहद अहम है। इससे सुरक्षित सप्लाई चेन के क्षेत्र में विविधता आएगी। भारत में 5जी की शुरुआत हो चुकी है और हमने इस मामले में गति पकड़नी शुरू कर दी है। बता दें कि खनिज सुरक्षा साझेदारी में अमेरिका के नेतृत्व में 14 देश (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, ब्रिटेन, यूरोपीय आयोग, इटली और अब भारत) सहयोगी हैं। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अहम खनिजों की आपूर्ति श्रृंखलाओं में निवेश को बढ़ाना है।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)