नई दिल्ली : (मानवी मीडिया) सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच दवाओं के 88,844 नमूनों के परीक्षण किए गए जिनमें 2,545 दवाएं "मानक गुणवत्ता की नहीं" मिलीं जबकि 379 नकली पाई गईं।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रकों से मिली जानकारी के अनुसार, इसी अवधि के दौरान नकली या मिलावटी दवाओं के उत्पादन, बिक्री और वितरण को लेकर 592 मुकदमे चलाए गए। उन्होंने कहा कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच 84,874 नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें से 2,652 दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं थीं जबकि 263 दवाइयां नकली पाई गईं।
इस अवधि के दौरान नकली या मिलावटी दवाओं को लेकर 236 मुकदमे चलाए गए। पवार ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) एवं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न नियामक उपाय किए हैं।
उन्होंने कहा कि नकली और मिलावटी औषधियों के विनिर्माण के लिए कठोर दंड हेतु औषधि और प्रसाधन सामग्री (संशोधन) अधिनियम 2008 के तहत औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 को संशोधित किया गया तथा कुछ अपराधों को संज्ञेय और गैर-जमानती भी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यों ने औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत अपराधों से जुड़े मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष अदालतों का गठन किया है।