बताया जाता है कि नसीरपुर निवासी रंजीत उर्फ गोठई यमुना में शुक्रवार को साथियों के साथ नाव से शिकार कर रहा था। इसी दौरान उसे यमुना किनारे डॉल्फिन दिखी। रंजीत ने साथियों की मदद से डॉल्फिन को पकड़ लिया। डॉल्फिन लगभग एक क्विंटल की थी। मछुआरे उसे गांव लाए और काट डाला। गांव के लोगों को भी डॉल्फिन खाने के लिए दी गई। घाट से डॉल्फिन लाते समय किसी ने फोटो और वीडियो बना लिया था।
फोटो और वीडियो रविवार रात सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो वन विभाग के सेक्शन प्रभारी रवीन्द्र कुमार और वन दरोगा रामप्रकाश रावत के होश उड़ गए।। सोमवार सुबह करीब साढ़े सात बजे वन विभाग की टीम नसीरपुर पहुंची। वायरल फोटो और वीडियो दिखाकर पूछताछ की गई तो पता चला कि रंजीत उर्फ गोठई, राहुल निषाद और पुनऊ ने डॉल्फिन का शिकार किया है। वन विभाग की टीम ने रंजीत को पकड़ लिया और पिपरी पुलिस के हवाले किया। सेक्शन प्रभारी और वन दरोगा की संयुक्त तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
यमुना में नसीरपुर गांव के सामने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से डॉल्फिन मछली मछुआरों के हाथ लगी थी। मछली किनारे आ गई थी। यही कारण था कि आसानी से मछुआरों ने पकड़ लिया। इसका उन्होंने खूब जश्न मनाया था। जश्न मनाने के ही चक्कर में फोटो और वीडियो वायरल हुआ। मछुआरों ने खुद तो डॉल्फिन का मांस खाया ही अपने रिश्तेदारों को भी भिजवाया था।
डॉल्फिन मछली मीठे पानी में रहती है। इस मछली को विलुप्त प्राय माना गया है, यही कारण है कि इसके संरक्षण के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। गंगा में डॉल्फिन को इसी उद्देश्य से छोड़ा गया था, ताकि संख्या में इजाफा हो। यमुना में यह मछली बहुत कम दिखती है। गंगा उफान पर है। गंगा में ऊफान आने पर डॉल्फिन यमुना में पहुंच जाती हैं। शुक्रवार को नसीरपुर गांव के सामने यमुना किनारे डॉल्फिन मछली पहुंची तो शिकारियों ने उसे पकड़ लिया। मछली पकड़ने के बाद मछुआरों ने खूब जश्न मनाया। पूरे उत्साह के साथ वे मछली की नुमाइश करते हुए गांव तक ले गए थे। तीन लोग कंधे पर लादकर ले गए थे। मछली लगभग एक कुंतल वजन की थी। मछली को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग आए थे।
मछली को काटने के बाद उसका मांस शिकारी रंजीत उर्फ गोठई और उसके साथियों ने आसपास के गांवों में रहने वाले रिश्तेदारों को भी भिजवाया था। फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारियों की नींद उड़ी। संरक्षित जलीय जीव का शिकार होने के मामले को अफसरों ने गंभीरता से लिया और केस दर्ज करया। इसके बाद मुख्य आरोपित को गिरफ्तार किया गया। फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है।
डॉल्फिन मछलियों को दिखाई नहीं देता, लेकिन इनके सूंघने की क्षमता अधिक है। मीठे पानी में ही यह रहती है। सूंघने की क्षमता अधिक होने के कारण यह तुरंत खतरे को भांप लेती हैं। नसीरपुर में किनारे पर होने के कारण शिकारियों ने डॉल्फिन का शिकार कर लिया।
डॉल्फिन मछली विलुप्त प्राय जीव की श्रेणी में है। यही कारण है कि इसके संरक्षण के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसके शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। इसका शिकार करने पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कार्रवाई होती है। यह दंडनीय अपराध की श्रेणी में है। डॉल्फिन का शिकार करने वाले रंजीत व उसके साथियों पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत ही कार्रवाई की जा रही है।
सरकार ने डॉल्फिन की सुरक्षा और संरक्षण के लिए उसको राष्ट्रीय जलीय जीव का दर्जा दे रखा है। इसके अलावा नदियों में इनकी बाकायदा निगरानी होती है। साथ ही इनकी गणना भी होती रहती है।
कौशांबी के डीएफओ आरएस यादव ने कहा कि यमुना में डॉल्फिन के शिकार के मामले में जांच के बाद एफआईआर दर्ज करा दी गई है। एक आरोपित पकड़ा गया है। अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है