नई दिल्ली (मानवी मीडिया): अंतरराष्ट्रीय साइकिल दिवस पर शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले एक साइकिल सवार के परिवार को 38 लाख रुपए का मुआवजा देने के आदेश दिए गए। साथ ही अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि साइकिल सवार को भी सड़क पर वाहन चालक माना जाए।
दरअसल सोनिया विहार इलाके में देवेन्द्र गैस सिलेंडर सप्लाई का काम करता था। 27 जुलाई 2021 को एक तेज रफ्तार कार ने उनकी साइकिल को टक्कर मार दी थी जिससे देवेन्द्र की मौत हो गई। देवेन्द्र (25) पर अपनी मां और चार छोटे भाई-बहन की परवरिश की जिम्मेदारी थी और आर्थिक हालात खराब थे। अदालत ने इसे गंभीरता से लिया।
शनिवार को कड़कड़डूमा स्थित वाहन दुर्घटना दावा पंचाट न्यायाधीश हारुन प्रताप की अदालत ने इस मामले में सरकार और लोगों की जागरूकता को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सड़कों पर साइकिल चलाने के लिए कुछ कायदे-कानून हैं। इसके पालन के लिए सबसे पहली जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार पहले ही साइकिल ट्रैक बनाने का कार्य शुरू कर चुकी है। लेकिन, अभी तक यह आधी-अधूरी योजना है। जहां-जहां ट्रैक बनाए गए हैं, वहां उनका इस्तेमाल ही नहीं हो रहा। ट्रैफिक पुलिस भी इन नियमों का सख्ती से पालन कराएं। सरकारी विभाग की भी जिम्मेदारी है कि वह इस संबंध में जागरूकता अभियान चलाए।
दुर्घटना मामलों के विशेषज्ञ अधिवक्ता उपेन्द्र सिंह ने बताया कि मुख्य सड़कों जैसे कि बाहरी रिंग रोड, मुख्य मार्गों, नेशनल हाईवे आदि पर साइकिल नहीं चलाई जा सकती है। इन जगहों पर अलग से ट्रैक होने पर ही साइकिल चलाई जा सकती है। लेकिन, अमूमन देखा जाता है कि साइकिल सवार इन सड़कों पर भी चलते हैं। उपेन्द्र सिंह का कहना है कि यह खामी पुलिस व्यवस्था की है। उन्हें साइकिल सवारों को यहां आने से रोकना चाहिए।