सिक्कम :(मानवी मीडिया) सिक्कम को 2024 तक सिवोक-रंगपो रेलवे लाइन परियोजना के तहत ट्रेन सेवा मिलने जा रही है. इसका अभी तक 50 प्रतिशत का काम पूरा हो चुका है. जिसके चलते प्रदेश को 2024 तक राष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा बनने की उम्मीद है. जबकि देश को सीमाओं से लगे हिमालयी राज्य में “रणनीतिक महत्व का बुनियादी ढांचा” मिलेगा. अधिकारियों ने बताय कि पहाड़ों, नालों और तीस्ता नदी के ऊपर से गुजरते हुए, पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी से सिक्किम में रंगपो तक हर मौसम में 45 किलोमीटर लंबी निर्माणाधीन रेल लाइन में 14 सुरंगें और 22 पुल होंगे.
रेल मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल के परियोजना निदेशक मोहिंदर सिंह ने कहा कि “युद्ध स्तर पर काम चल रहा है लेकिन अत्यधिक सावधानी के साथ किया जा रहा है क्योंकि पूरी परियोजना भूकंपीय चार और पांच क्षेत्रों में आती है. इसके अलावा, भूस्खलन और बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है.”
इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन (इरकॉन) इंटरनेशनल लिमिटेड के अधिकारी ने आश्वासन दिया कि सुरक्षा प्रोटोकॉल मौजूद हैं और उनका पालन किया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि गंगटोक तक लाइन का विस्तार करने की भी योजना है, लेकिन इसका काम बाद में शुरू होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुरंग के निर्माण और पुलों को बिछाने में महत्वपूर्ण सफलताएं मिली हैं और कहा कि रंगपो स्टेशन के निर्माण से पहले दो किलोमीटर लंबी सुरंग (टी-14) को पूरा कर लिया गया है जबकि छह अपने अंतिम चरण में हैं.
सिक्किम के चीन के साथ अपनी सीमा साझा करने के मद्देनजर परियोजना के महत्व के बारे में पूछे जाने पर निदेशक ने कहा, “यह रणनीतिक महत्व के साथ-साथ आर्थिक महत्व का बुनियादी ढांचा है.” उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर 50 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. पश्चिम बंगाल में 41.45 किलोमीटर और सिक्किम में 3.51 किलोमीटर लंबी रेल लाइन परियोजना के महत्व पर अपने विचार व्यक्त करते हुए दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने कहा, “क्षेत्र (सिक्किम और उत्तर बंगाल) चार देशों – बांग्लादेश, नेपाल, के साथ सीमा साझा करता है. भूटान और चीन और इसके एक हिस्से को ‘चिकन की गर्दन’ कहा जाता है। यह एक बहुत ही संवेदनशील क्षेत्र है।”