लखनऊ (मानवी मीडिया) देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में उत्तर प्रदेश के कई छात्र फंसे हुए हैं। एनआईटी इंफाल में पढ़ने वाले छात्रों ने सीएम योगी से सुरक्षित निकालने की गुहार लगाई है। छात्रों का कहना है कि उन्हें हॉस्टल में केवल एक वक्त का खाना और पीने के लिए एक बोतल पानी ही दी जा रही है।
ये मामला सीएम योगी आदित्यनाथ ने संज्ञान में लिया है। उन्होंने प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद से मणिपुर में सरकार के अधिकारीयों से वार्ता कर छात्रों को सकुशल यूपी वापिस लाने के निर्देश दिए हैं। प्रमुख सचिव गृह ने मणिपुर के मुख्य सचिव से वार्ता कर हर संभव मदद का अनुरोध किया है। मिली जानकारी के अनुसार यूपी के राहत आयुक्त कार्यालय को मणिपुर सरकार के साथ छात्रों को वापिस लाने के लिए समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मणिपुर में भड़की थी हिंसा
गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी। नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था। पुलिस के मुताबिक, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियार थामे लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया।
मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई। मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है। इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं।