नई दिल्ली (मानवी मीडिया) दिल्ली स्थित पुराने किले में इतिहास खंगालने के लिए नए सिरे से खुदाई चल रही है जिसमें कुषाण कालीन तांबे से बना पहिया, राजपूत कालीन तीर का अग्रभाग और मुगलकालीन सिक्के सहित तमाम कलाकृतियां मिली हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। एएसआई के प्रवक्ता वसंत स्वर्णकार ने कहा कि यह भारत के ‘दुलर्भ पुरातत्व स्थलों’ में से एक है जहां पर करीब 2500 साल के इतिहास की परतें मिली हैं।
उल्लेखनीय है कि पुरातत्वविद स्वर्णकार के नेतृत्व में इस साल जनवरी के उत्तरार्ध में खुदाई के नए चरण की शुरुआत हुई। 16वीं सदी में बना पुराने किले में खुदाई का यह तीसरा सत्र है। इससे पहले वर्ष 2013-14 और 2017-18 में खुदाई हो चुकी है। स्वर्णकार ने कहा कि चित्रित धूसर मृदभांड या पीडब्ल्यूजी वर्ष 2013-14 में हुई पहले चरण की खुदाई में मिले थे। एएसआई अधिकारी ने बताया कि पद्म विभूषण से सम्मानित प्रोफेसर बी.बी. लाल ने विभिन्न स्थानों से मिले पीडब्ल्यूजी का संबंध महाभारत कालीन से बताया है।
उन्होंने बताया कि प्रोफेसर लाल स्वयं वर्ष 1954 और 1969-73 में किला और उसके परिसर में खुदाई का नेतृत्व कर चुके हैं। स्वर्णकार ने कहा कि कई चरणों की खुदाई में ये कलाकृतियां मिली हैं जो पूर्व मौर्य काल से लेकर मुगल काल तक की हैं। स्वर्णकार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘नवीनतम खुदाई में अन्य कलाकृतियों के साथ कुषाण काल, राजपूत काल और मुगल काल की कलाकृतियां प्राप्त हुई हैं। इनमें कुषाण काल में बना पांच सेंटीमीटर व्यास का तांबे से बना व तिल्लियों से युक्त पहिया, राजपूत काल में तांबे से बना तीर का अग्रभाग, गुप्त काल में हड्डी से बनी सूई और बाट तथा मुगलकालीन सिक्के शामिल हैं।’’
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने मंगलवार को पुराने किले में खुदाई स्थल का दौरा किया और कहा कि सरकार इसे ‘महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल’ मानती है। उन्होंने कहा कि मानसून से पहले खुदाई के कार्य में तेजी लाने की कोशिश की जाएगी। स्वर्णकार ने कहा कि पुराना किला दिल्ली के ‘उन संभावित स्थलों’ में है जिनका दौरा सितंबर में प्रस्तावित जी-20 शिखर सम्मेलन में आने वाले प्रतिनिधि कर सकते हैं। गत एक महीने की खुदाई में मिली कलाकृतियों के बारे में पूछे जाने पर स्वर्णकार ने बताया कि वहां से कुषाण काल में ‘ईंट से बना मंच’ और ‘भट्टी’ मिली है। पुराने किले का निर्माण शेरशाह सूरी और मुगल बादशाह हुमायूं ने करवाया था। यह किला एक ऐसे स्थल पर निर्मित किया गया था जिसके नीचे हजारों सालों का इतिहास दबा हुआ है।