उत्तर प्रदेश (मानवी मीडिया) गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुआ घोटाला एक बार सुर्खियां बनने की दिशा में हैं। इस मामले की जांच को लेकर एक बार फिर सीबीआई की सक्रियता बढ़ गई है। इस दिशा में प्रदेश के दो पूर्व मुख्य सचिवों- आलोक रंजन और दीपक सिंघल पर सीबीआई का शिकंजा कसता नजर आ रहा है। सीबीआई ने जांच को गति देने के लिए इन दो पूर्व अफसरों से पूछताछ की अनुमति मांगी है। सूत्रों के मुताबिक गृह विभाग ने नियुक्ति विभाग को पत्र भेज दिया है। हालांकि इस बाबत कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
गोमती रिवर फ्रंट के लिए सपा सरकार ने 1,513 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। इसमें से 1437 करोड़ रुपए जारी होने के बाद भी मात्र 60 फीसदी काम ही हो पाया। 95 फीसदी बजट जारी होने के बाद भी 40 फीसदी काम अधूरा ही रहा। आरोप है कि डिफाल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया था।
2017 में भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में यह मामला लाया गया। उसके बाद उन्होंने इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज आलोक सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट पर ही इस प्रकरण में कार्रवाई शुरू हुई थी। बाद में इसकी जांच सीबीआई को दी गई है।
नवम्बर-दिसंबर 2017 में घोटाले में सीबीआई ने पहली एफआईआर दर्ज की थी। इसमें आठ इंजीनियरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। बाद में एक तत्कालीन अधिशासी अभियंता समेत दो लोगों कि गिरफ्तारी भी हुई थी। इस घोटाले के जांच को लेकर उप्र, कोलकाता समेत कई दूसरे प्रदेशों में भी सीबीआई ने छापेमारी की थी। बाद में जांच की गति सुस्त पड़ गई।
जून 2022 में भी एक बार सीबीआई की सक्रियता दिखी। उस समय भी सीबीआई ने दोनों पूर्व मुख्य सचिवों से पूछताछ की अनुमति मांगी थी, लेकिन मिल नहीं पायी। बताया जा रहा है कि इस बार सीबीआई अफसरों ने दोनों अफसरों से पूछताछ के लिए कुछ सवाल भी तैयार कर रखा है।