मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वर्गीय कृष्णैया की विधवा उमा कृष्णैया की याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार सोमवार को स्वीकार करते हुए मामले को 08 मई को सूचीबद्ध का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तानिया श्री ने पीठ के समक्ष ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान इस मामले को उठाया और शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1985 कैडर के 37 वर्षीय अधिकारी कृष्णैया की हत्या मुजफ्फरपुर में उत्तेजित भीड़ द्वारा पीट-पीटकर कर दी गई थी। निचली अदालत ने आनंद मोहन को 2007 में दोषी ठहराते हुए मृत्यु दंड की सजा सुनाई थी। पटना उच्च न्यायालय ने इस सजा को बरकरार रखा था, लेकिन 2008 में शीर्ष अदालत ने मृत्युदंड की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का आदेश दिया था।
बिहार सरकार के जेल मैनुअल में संशोधन के कारण आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद मोहन समेत अन्य को पूर्व निर्धारित सजा से पहले रिहा करने का रास्ता साफ हो गया था। सरकार के इस फैसले के बाद आनंद मोहन को करीब 14 साल की सजा काटने के बाद पिछले दिनों जेल से रिहा कर दिया गया था।