जालंधर (मानवी मीडिया) दिमागी दौरा या लकवा मारने पर रोगी को बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ब्रेन स्ट्रोक या लकवा के उपचार में मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी एक नयी क्रांति लाई है।
इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजिस्ट डॉ विवेक अग्रवाल ने बुधवार को बताया कि यदि समय पर जांच करवा ली जाए तो एक लक्षण से बीमारी की असली स्थिति का पता लग जाता है।
ऐसे में उक्त लक्षण दिमाग से जुड़ा हुआ हो तो थोड़ी से बरती लापरवाही से व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक (दिमाग का दौरा) पड़ऩे के कारण एक जटिल दिमागी बीमारी की चपेट में आ सकता है।
उन्होंने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक (दिमागी दौरा) पड़ने पर यदि मरीज को तुरंत ऐसे अस्पताल पहुंचाया जाए, जहां अनुभवी न्यूरोलॉजिस्ट और न्यूरो सर्जन हों तो मरीज जल्द स्वस्थ और अधरंग के असर को कम या खत्म किया जा सकता है।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरो-इंटरवेंशन एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी विभाग के कंस्लटेंट डॉ विवेक अग्रवाल ने कहा कि न्यूरो से संबंधित बीमारियों के लक्षण दिमागी हालत से जुड़े होते हैं,
जिनमें भूल जाना, चेतना की कमी, एकदम व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आना, क्रोधित होना और तनावग्रस्त आदि लक्षण शामिल हैं।