शिमला (मानवी मीडिया) नगर निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की करारी शिकस्त हुई है. इसे भाजपा की हार की हैट्रिक कहा जा रहा है. इससे पहले साल 2021 में उपचुनाव, साल 2022 में विधानसभा चुनाव और साल 2023 में अब नगर निगम शिमला चुनाव में भाजपा को शिकस्त मिली है. नगर निगम शिमला के चुनाव जून 2022 में होने थे, लेकिन मामला कोर्ट में होने की वजह से चुनाव 11 महीने देरी से हुए.
इस बीच प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो गए और हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज हो गई. प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस के होने से भी भारतीय जनता पार्टी को नगर निगम शिमला में भारी नुकसान उठाना पड़ा. हिमाचल प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का गृह राज्य है.
बीजेपी की लगातार तीसरी हार
साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी समर्थित 17 प्रत्याशी जीत कर आए थे. जहां एक ओर प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता होने का नुकसान भाजपा को हुआ. वहीं, चुनाव से ठीक पहले हिमाचल का अध्यक्ष बदलना भी भाजपा को महंगा पड़ा. उपचुनाव और विधानसभा चुनाव में हुई हार के बाद से कार्यकर्ताओं में जोश की भी भारी कमी देखने को मिल रही थी.
इसका नुकसान नगर निगम शिमला की हार के रूप में हुआ है. अब पार्टी की नजरें साल 2024 के लोकसभा चुनाव पर जाकर टिक गई हैं. हालांकि लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे की बदौलत बेहतरीन प्रदर्शन करने की उम्मीद है.
'राष्ट्रीय स्तर पर ले जायेंगे जीत'
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नगर निगम शिमला की हार को जीत को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि शिमला में मिनी हिमाचल बसता है. इससे पूरे हिमाचल का माहौल पता चलता है.
आने वाले वक्त में कर्नाटक में भी चुनाव आने वाले हैं इसका असर कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भी देखने के लिए मिलेगा और कांग्रेस कर्नाटक में भी जीत हासिल करेगी. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुए उन्हें पांच महीने का ही वक्त हुआ है,
लेकिन प्रदेश की जनता देख रही है कि वह हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए किस तरह काम कर रहे हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश को चार साल में नंबर वन राज्य बनाने का भी दावा किया.