रांची (मानवी मीडिया): मनरेगा घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में निलंबित झारखंड की आईएएस पूजा सिंघल की परेशानियां और बढ़ने वाली हैं। उनके खिलाफ अब राज्य सरकार भी भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाएगी। सरकार के विधि सचिव और महाधिवक्ता ने उन पर एफआईआर दर्ज कराने के प्रस्ताव को सहमति दे दी है। मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलते ही उनपर मुकदमा दर्ज करा दिया जाएगा।
ईडी ने पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी, उनकी गिरफ्तारी, उनसे पूछताछ और जांच के बाद भ्रष्टाचार के मामलों में जो फैक्ट जुटाए थे, उन्हें राज्य सरकार के साथ नवंबर 2022 में ही साझा कर दिया था। ईडी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की अनुशंसा की थी। इसके बाद भी उनपर सरकार की ओर से कार्रवाई न होने पर ईडी ने सरकार को रिमाइंडर भी भेजा था।
प्रवर्तन निदेशालय ने मनरेगा घोटाले में आरोप पत्र दायर करने और अवैध माइनिंग में डिस्ट्रिक्ट माइनिंग ऑफिसर्स का बयान दर्ज करने के बाद राज्य सरकार के साथ पीएमएलए एक्ट की धारा 66-2 के तहत सूचनाएं साझा की थी। प्रवर्तन निदेशालय से मिली जानकारियों के आलोक में कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से पूजा सिंघल के खिलाफ पीसी एक्ट की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का प्रस्ताव तैयार कर सरकार के पास भेजा गया था। सरकार ने इस प्रस्ताव पर विधि विभाग से राय मांगी थी, इस पर विधि विभाग ने प्रवर्तन निदेशालय की ओर से उपलब्ध करायी गयी सूचनाओं और संबंधित दस्तावेज की समीक्षा के बाद एफआईआर दर्ज कराने के प्रस्ताव को सहमति दे दी थी। इसके बाद इस प्रस्ताव पर महाधिवक्ता ने भी अपनी सहमति दे दी। अब इस मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से अंतिम निर्णय लिया जाना है। मुख्यमंत्री की सहमति मिलते ही इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की जायेगी।
गौरतलब है कि बीते साल 6 मई को ईडी ने पूजा सिंघल के आवास और उनसे जुड़े दो दर्जन से भी ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान उनके पति के सीए सुमन कुमार के ठिकानों से 19 करोड़ से ज्यादा नकद बरामद किये गये थे। इस मामले में पूछताछ के बाद ईडी ने 11 मई को पूजा सिंघल को गिरफ्तार कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघल को हेल्थ ग्राउंड पर दो महीने की अंतरिम जमानत दी थी। इसकी अवधि पूरी होने के बाद उन्हें बीते 12 अप्रैल को ईडी कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा और इन दिनों वह जेल में हैं।