लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश की योगी सरकार काशी, अयोध्या और मथुरा ही नहीं बल्कि प्रयागराज और नैमिषारण्य को भी धार्मिक पर्यटन के बड़े केन्द्र के तौर पर विकसित करेगी।
केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन स्कीम द्वितीय के तहत इन दोनों स्थलों का चयन अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने के लिए हुआ है। सरकार 2025 के महाकुंभ से पहले प्रयागराज में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कई बड़े काम करने जा रही है। साथ ही नैमिष के कायाकल्प के लिए भी कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की योजनाओं को अमली जामा पहनाया जा रहा है। इस सम्बंध में त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित कर लिया गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर बनाने में पर्यटन की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होगी। इसके मद्देनजर सरकार पर्यटन गंतव्य के रूप में उत्तर प्रदेश की पूरी क्षमता को साकार कर रही है। सरकार पीपीपी मोड पर चयनित पर्यटन स्थलों का समेकित विकास करेगी। इसके तहत इन स्थलों में मौजूद सभी मंदिरों, पौराणिक और पुरातात्विक महत्त्व के स्थानों का सौंदर्यीकरण कराया जाएगा। प्रयागराज और नैमिषारण्य के समेकित विकास के लिए विशेषज्ञों की टीम का चयन किया जा रहा है। इसके बाद चिह्नित स्थलों के विकास के के लिए डीपीआर तैयार किया जाएगा।
उन्होने बताया कि धार्मिक पर्यटन के रूप में प्रयागराज को नई पहचान देने के लिए योगी सरकार 87 परियोजनाओं पर ढाई हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करेगी। सरकार की मंशा प्रयागराज में स्थाई विकास पर है। इसके तहत छह लेन के तीन पुलों का निर्माण, निर्मल गंगा अभियान के तहत गंगा को प्रदूषण मुक्त करना, गंगा और यमुना के तटों पर सात पक्के घाटों का निर्माण, यमुना में पहला फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, द्वादश माधव राम मंदिर का सौंदर्यीकरण, पांच कोसी मार्ग को नया स्वरूप, नैनी के अरेल में यमुना तट पर त्रिवेणी पुष्प का पुनुरोद्धार, डिजिटल कुम्भ संग्रहालय,‘पेंट माय सिटी’ की तर्ज पर गंगा और यमुना के घाटों को "ग्लो माय रिवर फ्रंट" के तहत नया स्वरूप देना, फाफामऊ में स्थित पुराने कर्जन ब्रिज को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने जैसे अन्य कार्य शामिल हैं। महाकुंभ से पहले सरकार इन सभी कार्यों को सरकार पूर्ण करा लेगी।